अनमोल प्यारी मां पर सुंदर कविता | Poem On Mother In Hindi

Poem On Mother In Hindi : – आज के पोस्ट में हम सुंदर और प्यारी मां पर अनमोल कविता आपके साथ साझा कर रहा हूं। माँ तुम हो सबकी पालनहारी, और तुम ही हो दया की मूर्ति कहा गया है। माँ की महिमा निराली है। माँ अन्नपुर्णा, सरस्वती, माँ दर्गा, रमा, महाकाली है। बच्चों की खुशियां हेतु खुद को मिटा देने वाली है। माँ हमपर दया, प्रेम, करुणा, ममता लुटाने वाली है। यहां पर जो कविताएं प्रस्तुत किया गया है उसे पसंद आने पर अपने दोस्तों और परिवारजनों को अवश्य साझा करें। धन्यवाद !!!

 

Poem On Mother In Hindi

 

माँ तो आखिर में माँ होती है।

Poem On Mother In Hindi

 

माँ तो आखिर में माँ होती है,

जगत में यह महान होती है.

माँ से बड़कर कोई और नहीं,

माँ ममता की खान होती है.

 

माँ दया वात्सल्य की मूर्ति है,

आँचल में मीठी छाँव होती है.

इससे बढ़कर और स्वर्ग कहाँ,

माँ के चरण ही तीर्थ होती है.

 

माँ ही जगत की खेवनहार है,

यही सन्तानों की पालनहार है.

माँ ही सूजन की पावन द्वार है,

माँ ही इस सृष्टि का आधार है.

 

माँ की महिमा भी अपरम्पार है,

इस जगत में तेरा ही उपकार है.

तेरे समान यहाँ कोई और नहीं

तू ही कर देती सबका उद्धार है.

 

माक्या हम ऋण चुका पाएंगे?

तेरे उपकार से उक्रण हो पाएंगे?

इस जन्म क्या,सात जन्म में भी,

तेरे क्रण को हम न चुका पाएंगे.

-अशोक पटेल

 

 

तेरे चरणों मे माँ तीरथ द्वार है।

Poem On Mother In Hindi

 

माँ मैं कहाँ जाऊँ, कहाँ भटकूं,

तेरे चरणों में ही तीरथ द्वार है,

सारे देवता हैं माँ तेरे चरणों में

नमन करू तुझको बारम्बार है.

 

करूँ स्तुति मैं, करुँ आराधना,

करूंगा मैं तेरा, नित गुणगान है,

जग में है माँ तेरी पावन महिमा,

माँ तू ही इस जगत में महान है.

 

तुम ही हो जग की जन्मधात्री,

तुम ही तो हो पहिली गुरुमाता,

तुम हो शक्ति माँ देवी स्वरूपा,

तुम ही तो हो माँ सूजन-कर्ता.

 

तुम ही तो हो माँ वात्सल्यमयी,

तुम ही माँ ममता की खान हो.

तुमसे बढ़कर जग में कोई नहीं,

तुम ही देती सबको वरदान हो.

 

माँ तुम हो सबकी पालनहारी,

और तुम ही हो दया की मूर्ति,

तेरे बिना सब यह जग है सुना,

तुझसे यह धरा-धाम सँवरती.

-अशोक पटेल

 

माँ की दुआएं

Poem On Mother In Hindi

 

घर से सफर करने निकलना हो,

माँ को जहन में रख निकला करो.

विघ्न कभी ना आएंगे जिंदगी में,

माँ की दुआएं ले विदा हुआ करो.

 

माँ का साया गर हमको है नसीब,

सोते उठते माँ की जियारत किया करो.

माँ को धन दौलत की नहीं है तलब,

माँ खुश है, माँ को माँ कह पुकारा करो.

 

जन्नत तो खुद माँ के कदमों में है,

ये मौका “ना चीज” छोड़ा ना करो.

-नुदीन कोहरी

 

माँ की ममता

Poem On Mother In Hindi

 

माँ के बिना नश्चर-सी है ये काया,

माँ की ममता,जन्नत की छाया.

धन्य है मानव जो मिला है साया,

माँ ने अपना हर फर्ज है निभाया.

 

माँ की ममता है एक प्यारी मूरत,

ईश्वर में भी नजर आती है सूरत.

माँ ही है बच्चों की एक ज़रूरत,

माँ ही है गीता बाईबल इबादत.

 

माँ ही है मेरा अब एक जीवन,

माँ ही है सुबह की एक अजान.

माँ के चरणों में है एक जन्नत,

जहां पुरी हो जाती है सब मन्नत.

 

ईश्वर भी तरसते माँ की ममता,

माँ ही है जगत की एक दाता,

माँ के सामने है बस धूल बराबर,

माँ ही है जीवन का एक आधार.

 

न ढूंढो मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा,

इसके चरणों में जगत है सारा.

खुशियां देने में सब कुछ है वारा,

जिस के सामने दुःख भी हैं हारा.

 

माँ तो चमकता है एक सितारा,

मिट गया मेरा सब अंधियारा.

माँ ही मेरा अब एक तेरा सहारा,

तुम बिन ये जीवन हैं अब गँवारा.

-कुमारी गुड़िया

 

माँ तुम बहुत याद आती हो

Poem On Mother In Hindi

 

मैं जब भी देखती हूँ मंदिर में माता की मूरत कोई.,

करूणा तुम्हारी आंखों की मेरी आंखों में उतर आती है.

झर-झर बहते हैं अश्र नयनों से मेरे,

चाहूँ मैं कितना पर रोक इन पर न लग पाती है.

 

मैं क्या करू माँमुझे तुम्हारी याद बहुत आती है.

मैं जब निवाला रोटी का मुँह तक लाती हूँ,

भरपेट खाने के बाद भी मुझे और

खिलाने की तेरी वो जिद याद आती है.

 

खो जाती हूँ तब मैं माँ बस तुम्हारे ही खयालों में,

तेरे हाथों की खुशबू मेरे स्वाद को कई गुना बढ़ा जाती है.

मैं क्या करू माँ मुझे तुम्हारी याद बहुत आती है.

 

जब कभी देखती हूँ मैं विदाई किसी दुल्हन की,

मुझे ममता तेरी बरबस याद आ जाती है.

कितना तड़पी थी तू मुझसे जुदा होने के ख्याल से,

तेरी उस तड़प से मेरी बेचैनियाँ बढ़ जाती हैं.

 

मैं क्या करू माँमुझे तुम्हारी याद बहुत आती है.

जब आती हूँ घरमैं दिन भर की भाग दौड़ के बाद,

तम्हारे आंचल की वो ठंडी छांव याद आती है.

 

कैसे तुम करती थी रह भूखी हर शाम मेरा इंतजार

तेरे समर्पण की हर छोटी-बड़ी बात मेरी आंखें नम कर जाती है.

मैं क्या करू मा!मुझे तुम्हारी याद बहुत आती है.

 

जब भी होती हूँ मैं असमंजस घिरी मुश्किलों के बीच,

अपनी सभी परेशानियों में तेरी दी हर सीख याद आती है.

क्या ये संभव नहीं अब माँ कि तुम्हारी गोद में मैं सोऊं सिर रखकर,

 

क्यों शादी के बाद बेटियां इतनी पराई हो जाती हैं.

मैं क्या करूं मामुझे तुम्हारी याद बहुत आती है.

-पिंकी सिंघल

 

माँ तो बस माँ होती है।

Poem On Mother In Hindi

 

माँ तो बस माँ होती है, माँ की महिमा निराली है.

माँ अन्नपुर्णा, सरस्वती, माँ दर्गा, रमा, महाकाली है.

बच्चों की खुशियां हेतु खुद को मिटा देने वाली है.

माँ हमपर दया, प्रेम, करुणा, ममता लुटाने वाली है.

 

माँ तो बस माँ होती है, माँ की महिमा निराली है.

माँ तो है प्रकृति का रूप, वह सृष्टि चलाने वाली है.

बच्चों को खुश देख के, माँ खुश हो जाने वाली है.

माँ खुश है तो बच्चे की हर रोज होली, दिवाली है.

 

माँ तो बस माँ होती है, माँ की महिमा निराली है.

बच्चे जिनका सम्मान करें, वह माँ किस्मत वाली है.

बच्चे की रक्षा के लिए माँ बन जाती दुर्गा, काली है.

माँ बच्चों की खुशियों की रखवाली करने वाली है.

 

माँ तो बस माँ होती है, माँ की महिमा निराली है.

अपनी खुशियां निछावर करे बच्चों पर, माँ दानी है.

बच्चों का सदा हित चाहे जग में माँ कल्याणी है.

जैसी भी हो माँ बच्चे के लिए वह सदा ही ज्ञानी है.

 

माँ तो बस माँ होती है, माँ की महिमा निराली है.

जिनका कोई नहीं जग में, उनकी माँ शेरावाली है.

हर परिस्थिति गमें करती सदा बच्चों की रखवाली है.

जिस घर होती नहीं माँ, वह घर ममता से खाली है.

 

माँ तो बस माँ होती है, माँ की महिमा निराली है.

बाग रूपी परिवार को संवारने मारने वाली माली है.

बच्चों के साथ बिना माँ का जीवन होता खाली है.

माँ तो बच्चों की सुख- दख बाँटने वाली आली है।

 

माँ तो बस माँ होती है, माँ की महिमा निराली है.

जब तक है माँ का आशीष, बेटियां मायके वाली है.

बच्वे के लिए हर दर्द से गुजर जाती माँ धैर्य वाली है.

माँ का करें सम्मान सदा, माँ तो जगत जननी है.

-लोकेश्वरी कश्यप

 

माँ तेरे इस प्यार को

Poem On Mother In Hindi

 

तेरे आँचल में छुपा, कैसा ये अहसास.

सोता हूँ माँ चैन से, जब होती हो पास.

माँ ममता की खान है, धरती पर भगवान.

माँ की महिमा मानिए, सबसे श्रेष्व-महान.

 

माँ वीणा की तार है, माँ है फूल बहार.

माँ ही लय,माँ ताल है, जीवन की झंकार.

माँ ही गीता,वेद है,माँ ही सच्ची प्रीत.

बिन माँ के झूठी लगे,जग की सारी रीत.

 

माँ हरियाली दुब है, शीतल गंग अनूप.

मुझमें-तुझमें बस रहा, माँ का ही तो रूप,

माँ तेरे इस प्यार को, दँ क्या कैसा नाम?

पाये तेरी गोद में, मैंने चारों धाम.

-सत्यवान ‘सौरभ’

 

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