10+ भारत के स्वतंत्रता सेनानियों पर सुंदर कविता | Poem On Freedom Fighters In Hindi

Poem On Freedom Fighters In Hindi भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने शौर्य, साहस और निष्ठा से लड़ते हुए ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी और आजादी के लिए बलिदान दिया। भारतीय इतिहास में जिनमें कहीं न कहीं राजनीतिक या धार्मिक मुद्दों से भरे जीवन के रूप में उनकी महानता और अहिंसा के सिद्धांतों का सम्मान है। वे देश के प्रति अपने समर्पण से एक नई पहचान बन गए और लोगों के दिलों में अमर रहे।

इन स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानी कार्यों को याद करके हम आज आजाद देश में रहने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं। हमें उनके बलिदानी प्रयासों का सम्मान करना चाहिए और उन्हें देशवासियों की प्रेरणा के रूप में देखना चाहिए। यही हमारा उत्कृष्ट समर्थन होगा, जो उन्हें उनके बलिदान के लिए सदैव याद रखेगा।

झांसी की रानी

Jhansi Ki Rani Poem In Hindi

सुना है जिसके पदचापों से,

धरती कंपन करती थी।

जिसकी तलवारों की चमक से,

शत्रु की सेना डरती थी।

लहू की बूंद बनी चिंगारी,

और धरा मुस्काई आई थी।

शबनम के अंदर से जब,

आग निकलकर आई थी।

उखाड़ फेंका उस दुश्मन को,

जिसने झांसी का अपमान किया।

है उनको सत् सत् नमन हमारा,

है उनको सत् सत् नमन।

जिसने मातृभूमि को,

अपना बलिदान दिया।

सत्तावन की तलवार लिखूं,

या देश प्रेम की ज्वार लिखूं‌।

या दुश्मन की छाती पर पड़ता,

रानी का इक इक बार लिखूं।

बिगुल बजाती आजादी का,

इक नारी की हुंकार लिखूं।

या बुंदेलों की मुख से होती,

झांसी की जय जयकार लिखूं।

जिसने अलख जगाकर,

आजादी की कार्य बड़े महान किया।

है उनको सत् सत् नमन हमारा,

है उनको सत् सत् नमन।

जिसने मातृभूमि को,

अपना बलिदान दिया।

खेल खिलौने के उम्र में,

जो तलवारों की दीवानी थीं।

ब्रिटिश सल्तनत भी,

जिसके आगे पानी-पानी थी।

थी उसे गुलामी मंजूर नहीं,

अंग्रेजों की एक न मानी थी‌।

मैं अपनी झांसी न दूंगी,

जिसने अपने मन में ठानी थी।

जिसकी शौर्य गाथा का,

बुंदेलों ने गुणगान किया।

है उनको सत् सत् नमन हमारा,

है उनको सत् सत् नमन।

जिसने मातृभूमि को,

अपना बलिदान दिया।

रण कौशल ऐसा था,

जिसने शत्रु भी थर्राया था।

 रणचंडी को भेंट चढ़ाने,

अरि मुण्डों को लेकर आया था।

अरिदल काँप गए थे,

रण मैं जब लक्ष्मीबाई आई थी।

मातृभूमि पर एक बेटी ने,

अपने प्राण लुटायी आई थी।

मर के कैसे जीते हैं,

जिसने दुनिया को ज्ञान दिया।

है उनको सत् सत् नमन हमारा,

है उनको सत् सत् नमन।

जिसने मातृभूमि को,

अपना बलिदान दिया।

– नीरज कुमार

खूनी हस्ताक्षर

Poem On Freedom Fighters Bose In Hindi

वह खून कहो किस मतलब का,

जिसमें उबाल का नाम नहीं।

वह खून कहो किस मतलब का,

आ सके देश के काम नहीं।

वह खून कहो किस मतलब का,

जिसमें जीवन, न रवानी है।

जो परवश होकर बहता है,

वह खून नहीं, पानी है।

उस दिन लोगों ने सही-सही,

खून की कीमत पहचानी थी।

जिस दिन सुभाष ने बर्मा में,

माँगी उनसे कुरबानी थी।

बोले, स्वतंत्रता की खातिर,

बलिदान तुम्हें करना होगा।

तुम बहुत जी चुके जग में,

लेकिन आगे मरना होगा।

आज़ादी के चरण में जो,

जयमाल चढ़ाई जाएगी।

वह सुनो, तुम्हारे शीशों के,

फूलों से गूंथी जाएगी।

आजादी का संग्राम कहीं,

पैसे पर खेला जाता है?

यह शीश कटाने का सौदा,

नंगे सर झेला जाता है।

यूँ कहते-कहते वक्ता की,

आंखों में खून उतर आया।

मुख रक्त-वर्ण हो दमक उठा,

दमकी उनकी रक्तिम काया।

आजानु-बाहु ऊँची करके,

वे बोले, रक्त मुझे देना।

इसके बदले भारत की,

आज़ादी तुम मुझसे लेना।

हो गई सभा में उथल-पुथल,

सीने में दिल न समाते थे।

स्वर इंकलाब के नारों के,

कोसों तक छाए जाते थे।

हम देंगे-देंगे खून,

शब्द बस यही सुनाई देते थे।

रण में जाने को युवक खड़े,

तैयार दिखाई देते थे।

बोले सुभाष, इस तरह नहीं,

बातों से मतलब सरता है।

लो, यह कागज़, है कौन यहाँ,

आकर हस्ताक्षर करता है?

इसको भरनेवाले जन को,

सर्वस्व-समर्पण काना है।

अपना तन-मन-धन-जन-जीवन,

माता को अर्पण करना है।

पर यह साधारण पत्र नहीं,

आज़ादी का परवाना है।

इस पर तुमको अपने तन का,

कुछ उज्जवल रक्त गिराना है।

वह आगे आए जिसके तन में,

खून भारतीय बहता हो।

वह आगे आए जो अपने को,

हिंदुस्तानी कहता हो।

वह आगे आए, जो इस पर,

खूनी हस्ताक्षर करता हो।

मैं कफ़न बढ़ाता हूँ, आए,

जो इसको हँसकर लेता हो।

सारी जनता हुंकार उठी-

हम आते हैं, हम आते हैं।

माता के चरणों में यह लो,

हम अपना रक्त चढाते हैं।

साहस से बढ़े युबक उस दिन,

देखा, बढ़ते ही आते थे।

चाकू-छुरी कटारियों से,

वे अपना रक्त गिराते थे।

फिर उस रक्त की स्याही में,

वे अपनी कलम डुबाते थे।

आज़ादी के परवाने पर,

हस्ताक्षर करते जाते थे।

उस दिन तारों ने देखा था,

हिंदुस्तानी विश्वास नया।

जब लिखा महा रणवीरों ने,

खून से अपना इतिहास नया।

-गोपाल दास व्यास

Poem On Freedom Fighters In Hindi

स्वतंत्रता सेनानियों की वीरता

Poem On Freedom Fighters In Hindi

आजादी की चाह में जलती लागी आग,

स्वतंत्रता सेनानियों की वीरता ने बढ़ाई है बाग।

देश की रक्षा के लिए, लड़े हर सेनानी,

चमकी थी उनकी तलवार, थी जवानी।

भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु थे वीर,

शहीद हो गए वे देश के इस प्यारे कीर।

लक्ष्मीबाई, रानी जिसका था नाम,

उसने भी दिखाया अपने जाबां दम।

चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंग,

स्वतंत्रता के पथ पर थे वे चलते युगों तक निरंतर यहां।

गांधी जी के अहिंसा के सिद्धांतों ने,

दिया था वीरों को और महान बलिदानों को सहारा।

स्वतंत्रता के लिए लड़ी नारी वीरांगना,

करती थी वो अपने प्राणों की क़ुर्बानियाँ।

ये स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग,

बना दिया था देश को मुक्त और अभय।

आज भी उनकी यादों को जिए रखते हैं हम,

बलिदानी वीरों का करते हैं गणमान।

उनके सपूतों को हम नमन करते हैं,

स्वतंत्रता सेनानियों को हम याद करते हैं।

धन्यवाद तुम्हारा, ओ वीरों के वीर,

तुम्हारे बलिदान को हम सलाम करते हैं।

शेरे हिन्दुस्तान

Poem On Freedom Fighters In Hindi

अलीराजपुर मध्यप्रदेश का

ग्राम एक भाबरा,

23 जुलाई 1906 मे जन्मा

आजादी का बावरा।

आजाद हैं हम, आजाद रहेगें, नारा यह लगाया।

सारे हिन्दुस्तान मे, चंद्रशेखर ‘आजाद’ कहलाया।

जगह-जगह पर घूम-घूम कर,

क्रांति का फिर बिगुल फूंककर।

डोलाया अंग्रेजों का शासन,

थर्राया अंग्रेज प्रशासन।

27 फरवरी 1931 के दिन,

आजादी का वह दीवाना।

इलाहाबाद, अल्फ्रेड पार्क में,

लिये अपनी पिस्तौल हाथ में।

अंग्रेजों से लड़ता रहा शेर,

बहादुरी से किये कई अंग्रेज ढेर।

हर्ष से किया न्यौछावर खुद को,

आजादी का अर्थ सिखाया सबको।

नमन क्रांति के उस वीर को।

गर्व है उस सपूत पर हम को।

-डॉ. अखिलेश शर्मा

नमन चंद्रशेखर

Poem On Freedom Fighters In Hindi

दिव्य चेहरा, मूंछों पर ताव

कांधे जनेऊ, रौवीले भाव

कहने में कम करने में विश्वास

पिस्टल की भाषा आती थी रास

आजाद हूँ में शत्रु को जताया

जब तक रहे प्रण को निभाया

नमन चंद्रशेखर वंदन चंद्रशेखर

ऋणी देश सारा स्मरण चंद्रशेखर

-व्यग्र पाण्डे

निडर थे भगत सिंह

Poem On Freedom Fighters In Hindi

हँसते हँसते शूली पर चढ़ने वाले,

नज़र नहीं आते अब वैसे मतवाले।

स्वतंत्रता संग्राम के सच्चे सेनानी,

भगत सिंह थे फौलादी सीने वाले।

फिरंगियों से ऐसा जम कर युद्ध हुआ,

राजगुरु सुखदेव का सच्चा संग हुआ।

संसद में बम फेंक डरे न भागे वो,

देख वीरता उनकी दुश्मन दंग हुआ।

खुला किया विद्रोह ब्रिटिश साम्राज्य हिला,

आजादी की घुट्टी सबको दिया पिला।

युवकों के आदर्श निडर थे भगत सिंह,

सांडर्स को मारा गोरों को सबक मिला।

देश है अब आजाद स्वतंत्रता दिवस मनाएं,

वीर शहीदों को पर न कभी भुलाएं।

कायम रखना आजादी को हर कीमत पर,

प्रण कर लें जीवन भर ऐसा हम कर पायें।

-हरजीत निषाद

स्वतंत्रता सेनानियों पर कविता

Poem On Freedom Fighters In Hindi

सुनो जम्बू के वीर लाल,

गाथा वर्णन एक भरत बाल।

रग-रग में जिसके इंकलाब,

जीवन जैसे क्रांति मशाल।

जननी जिसकी विद्यावती,

पिता सरदार किशन सिंह।

जन्मे 1907 में,

नाम पाया भगत सिंह।

बारह बरस में देख रक्तपात,

अपने ही परिवार का।

ठाना भगत ने लूँगा प्रतिशोध,

जलियाँवाला बाग का।

त्याग कर लड़कपन की अठखेलियाँ,

पोथी शुर-वीरों की पढ़ने लगा।

काटकर परतंत्रता की बेड़ियाँ,

आज़ादी का स्वप्न गढ़ने लगा।

पगड़ी बाँध, भर जोश हृदय में,

नौजवान काफिला उसने बनाया।

निराश हो चौरा-चौरी कांड से,

सशस्त्र क्रांति का मार्ग अपनाया।

क्षुब्ध हो लाला जी की हत्या से,

की प्रतिशोध की जंग शुरु।

संगठित किया क्रांति वीरों को,

प्रमुख जिनमें चंद्रशेखर और राजगुरु।

फेका बम असेम्बली में उस स्थान,

जहाँ न खड़ा था कोई इंसान।

जो स्वार्थ में बिक जाये वो देशभक्त नहीं,

जो डरकर भाग जाये ऐसा भगत सिंह नहीं।

कहकर बटुकेश्वर संग अपने पैर जमा दिए,

और इंकलाब जिंदाबाद, इंकलाब जिंदाबाद,

उद्धोष संग सारे पर्चे उड़ा दिए।

फिर आयी शाम तेईस की,

मार्च का था महीना।

सीने में भरकर जोश जोशीला,

चले जवान पहन बसंती चोला।

मौत का न था डर उनको,

भारतभूमि शीश चढ़ाने बढ़े चले।

फाँसी के फंदे को गले लगाने,

वतन के शहीदे आजम बढ़े चले।

-समीक्षा गायकवाड़

स्वतंत्रता सेनानियों के वीरगाथा

Poem On Freedom Fighters In Hindi

जब घुंघरू बजे और झंडे लहराए,

स्वतंत्रता सेनानियों ने दी जंग का संघर्ष जारी।

देश के लिए वीरता से जले हर मन,

हुआ भारत को आजाद करने का जोश तलबान।

महात्मा गांधी की अहिंसा ने छाई छांव, भगत सिंह,

सुखदेव, राजगुरु ने जीवन दिया संघर्ष का प्रतीक भाव।

चंद्रशेखर आजाद और सुभाष चंद्र बोस की ललकार,

भारत की आजादी के लिए उठा दिया वीरों ने पतंग अधिकार।

भगत सिंग, राणा प्रताप और लक्ष्मीबाई की बलिदानी गाथा,

भारतीय इतिहास में बन गई वीरों की महाकथा।

स्वतंत्रता के लिए दी गई बलिदानी यात्रा,

जिसने बदल दिया भारत का इतिहास नवयुवकों के लिए रही शिक्षा।

वीर स्वतंत्रता सेनानियों की शौर्यगाथा,

बनी देशभक्ति की उत्तेजना सभी के मन में अभिनाथा।

धर्म, राजनीति और धन ने नहीं थमाई वीरों की रगफ़ट,

उन्होंने देश के लिए दिखाई अपनी प्रेम भाषा।

स्वतंत्रता की राह में लगे थे दीप,

वीर सेनानियों ने बनाई नई इतिहास की एक अनूठी प्रतीति।

उनके बलिदान को हम सदा करें सलाम,

स्वतंत्रता के पथ में बनाया है उन्होंने महानाम।

स्वतंत्रता सेनानियों के वीरगाथा,

हम सबको देती है एक गर्वभाषा।

भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है, जिससे हम उनके समर्पण और बलिदान को याद करते हैं। हमें यह दिन उनके याद के लिए एक अवसर है जिसे भावुकता और श्रद्धा के साथ मनाना चाहिए।

भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने देश के लिए अपने जीवन का सबसे बड़ा समर्पण किया और हमें स्वतंत्र भारत का उत्तराधिकारी बनाया। हमें उनके समर्थन, सम्मान और आदर का पालन करना चाहिए, और उन्हें याद करके उनके बलिदान को सलामी देनी चाहिए। इस तरह से, हम उन्हें भारतीय इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण अध्यायों में से एक मान सकते हैं, जिससे हमारी प्रेरणा और साहस बढ़ता है।

भारत को आजादी मिलने के लिए जिन स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राण न्यौछावर किए, उनका ऋणी हम बने हुए हैं और हमें उनके बलिदान का सम्मान और समर्थन करना हमारा कर्तव्य है। यह सच्ची प्रेरणा है जो हमें स्वतंत्रता, समर्पण और सम्मान के मार्ग पर अग्रसर करती है।

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