महिला दिवस का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण होना चाहिए:-
नारी तुम शक्ति स्वरूपा हो
नारी तुम श्रद्धा समर्पण हो,
नारी तुम आास विश्वास हो
नारी तुम सुष्टी का विकास हो.
ऐसे महान नारी शक्ति को नमन है, जिनके मात्र उपस्थिति से शशक्ति,सामर्थ्थ. और समृद्धि की श्री वृद्धि हो जाती है.इसीलिए इनको शक्ति स्वरूपा कहा जाता है. मानव जाति के लिए नारी ही एक ऐसा आधार है,जो मानव को सामर्थ्थवान बनाती है,.मानव का प्रेरणाश्रोत बनती है.मानव का मार्गदर्शक बनती है. यह भी कहा जाना अतिश्योक्ति नही होगी की-
एक नारी सभी पर भारी,
नारी के बिना जग अंधियारी.
नारी है तो जग उजियारी
नारी से ही उपजी सूष्टी सारी.
“नारियों के सम्बन्ध में यह कहा जाता है की जहाँ नारियों की प्रतिष्ठा होती हैं, सम्मान होता है.जहाँ नारियाँ पूजी जाती है, वहीं देवताओं का वास होता है.” अक्षरशः सत्य बात है,बिना नारियों के सम्मान के,नारियों के प्रतिष्ठा के, घर नहीं बनता, परिवार, मानव समाज में सुखद जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती.मानव समाज को जोड़ने,मानव समाज को समृद्ध और संस्कारवान बनाने का यादि किसी ने सारथ्थक काम किया है तो वह है नारी शक्ति. नारी को शक्ति स्वरूपा कहा गया है.तो इनको यूँ नहीं कहा गया है.इनके पास श्ति के साथ क्षमा भी है.पीड़ा के साथ धैर्यंता भी है.सर्जक के साथ संहारक भी है.माता के साथ सम्पूर्ण नाता भी है.तभी तो कहा गया है-
नारी तुम मात्र, जग में महान हो
सृष्टि के विकास की,पहचान हो.
तुम ही आदि-अंत की,विधान हो
तुम ही ईश्वर की बड़ी, वरदान हो.
उपरोक्त शक्तियों के श्रोत माता शक्ति के बारे में जितना भी कहा जाय कम है. यदि हम कोई विशेष बात करें तो वह है नारी सम्मान की, नारी अस्मता की, नारी सशक्तिकरण की, नारी के अधिकार की और इस पर मानव समाज को शासन, प्रशासन को, विशेष पहल करने की आवश्यकता है. और इन सब बातों पर जब विशेष पहल होगी तो निश्चित ही नारी जाति का सम्मान होगा. हमारा सामाज भी गौरवान्वित होगा.हम आए दिन नारी सशक्तिकरण की बात करते हैं,मात्र बात करने से कुछ नही होगा,उस पर हमे जमीनी स्तर पर काम करना होगा.उनके अधिकार के लिए हमे आगे आना होगा.हमे उनके लिए समर्पित होना होगा. इसी आशा विश्वास और अपैक्षा के साथ दे नमन है-
नारी से सारा जहान है
नारी ही जग मे महान है,
तू ही शक्ति की खान है।
तू ही ऊर्जा, क्षमतावान है.”