Top 13+ Poem On Winter Season In Hindi | सर्दी ऋतु पर कविता

Poem On Winter Season In Hindi :- today i will share best poem on winter season in hindi so i requested for you reading a complete poem , thanks

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ठंड का मौसम

Poem On Winter Season In Hindi

 

देखो ठंड का मौसम आया हैं,

सुबह- सुबह कोहरा छाया हैं.

दादी मुझको सुबह उठाती है,

मीठी -मीठी धूप सुहाती है।

मम्मी -पापा टहलते रोज

पहने स्वेटर लगाते कनटोप.

सुबह -सुबह हम दौड़ लगाते

करते कसरत सेहत बनाते.

सुरज दादा मेरे घर आना

कॉपते-कॉपते नहीं नहाना.

सोनू मोनू और बिट्ठो रानी

नहाते करके गरम पानी.

ताजे फल सब्जियाँ आती

ठंड में हमको खूब सुहाती.

रचनाकार- चन्द्रहास सिन्हा

ठंड कड़ाके की अब आई

Poem On Winter Season In Hindi

ठंड कड़ाके की अब आई,

आओ बैठें ओढ़ रजाई.

उसमें छिपकर ही कर लेंगे,

हम तुम दोनों आज पढ़ाई.

पहले कुर्सी पर बैठे थे,

हाथ-पाँव सब ही ऐंठ थे.

तब मम्मी बोली समझा कर,

इन्हें चाहिए कुछ गरमाई.

याद करेंगे उत्तर सारे,

और साथ में चार पहाड़े।

कविता बोलें, कथा सुनाएँ,

ऐसे होगी नहीं लिखाई.

दुबके ऐसे, झपकी आई,

पुस्तक हाथों छूटी भाई.

सोना मत तब मम्मी बोली

गरम परकौड़ी लेकर आई.

रचनाकार- कुसुम अग्रवाल

आ गया देखो जाड़ा

Poem On Winter Season In Hindi

माह नवम्बर आते ही

गर्म-गर्म अब कपड़े

जाड़ा से बचने का

खूब चल रही है.

आ गया देखो जाड़ा.

गर्मी का देखो

बज गया खूब नगाड़ा.

सूरज का गुस्सा देखो

ठंडा पड़ गया है.

गर्मी का फिर से

दिवाला निकाल गया है.

तन पर सोह रहा है,

सब इंतजाम हो रहा है.

ठंड हवा दिन रात

सर्दी से तो देखो

कीट कीट दांत बज रही है.

रचनाकार- बद्री प्रसाद वर्मा

सर्दी की दस्तक

Poem On Winter Season In Hindi

चुपके चुपके, हौले- हौले,

दस्तक देती द्वारे-द्वारे.

सुबह-शाम सुहानी ठंडक,

मानो बैठे झील किनारे.

पछुआ पवन झकोरे लेती,

दिन में यह सुस्ताती.

थोड़ी गर्मी थोड़ी सर्दी,

मौसम सुखद बनाती.

गुड़ की महक बिखेरे जाद,

मूंगफली के क्या कहने.

गाजर मूली पालक धनिया,

बच्चों ने स्वेटर पहने,

आ छी-आ छी करती दादी,

फिर दादा चाय बनाते

सरसो साग मके दी रोटी,

दोनों मिलकर खाते.

सुबह देर से निकले सूरज,

जल्दी-जल्दी शाम ढले.

लम्बी मनभावन-सी रातें,

दिन भी थोड़ा हुए भले,

रचनाकार- नरेन्द्र सिंह नीहार

चलने लगी ठंडी पुरवाई

Poem On Winter Season In Hindi

चलने लगी ठंडी पुरवाई

शीत ऋतू ने ली अंगड़ाई

आसमान में कोहरा छाई

फाहों की चादर नजर आई.

बागों में कलियाँ मुस्काई

फूलों में रौनकता है आई

हवाओं ने बगिया महकाई

पंछियों ने मधुर तान सुनाई.

गुलाबी ठंडी सिहरन समाई

आसमानों में बादल लहराई

धरा पर मोतियां बिखर आई

मानो धरा श्रृंगार है कर आई.

रचनाकार- अशोक पटेल

हाड़ कंपाने आ गई सर्दी

Poem On Winter Season In Hindi

सर्द हवा हो गई बेदर्दी

हाड़ कंपाने आ गई सर्दीं.

जाड़े की बदन में सबके

सुई चुभा रही है सरदीं,

गलन बढ़ गया इतना ज्यादा

खूब कंपा रही है सर्दी.

कोहरा काला छाया इतना

चलने नहीं दे रही है सर्दी.

जाड़े के इस मौसम में

सबको डरा रही है सर्दी.

कम्बल और रजाई ओढो

सबको बता रही है सर्दी।

रचनाकार- बद्री प्रसाद वर्मा अनजान

जाड़े के दिन

Poem On Winter Season In Hindi

जाड़े के दिन औढ़ रजाई।

पियो दूध खाओ मलाई।।

सुबह उठो तुम, मुँह को थो लो,

दांत साफ कर इतना बोलो,

खाना नहीं चॉकलेट भाई।

सूरज ने ली, है अंगड़ाई।।

जाड़े के दिन …

भोर पढ़ोगे, याद रहेगा,

मन खुशी-खुशी झूम कहेगा,

पढ़ो-लिखो इसी में भलाई।

यही सिखाती दीदी-माई।।

जाड़े के दिन …

जूता-मोजा स्वेटर पहनो,

टिफिन बैग में रखकर कह दो,

चला स्कूल हूँ भूल लड़ाई।

दोस्त संग हैं जैसे कन्हाई।।

जाड़े के दिन …

इथर-उधर नहिं कागज फेंको,

स्वच्छ रहो तुम, स्वच्छ ही देखो,

पौथों के संग घास उग आई।

सुन्दर हरियाली छाई।।

जाड़े के दिन..

पानी फेंका नहीं करेंगे,

जल संकलन हित नित्य बढेंगे,

सबसे कहना कौन बुराई?

जल ने भू की शान बढ़ाई।।

जाड़े के दिन..

मयंक किशोर शुक्ल

सर्दी

Poem On Winter Season In Hindi

सर्दी तू इतना ना इठला

सर्दी तू इतना ना इतरा

सब जीव- जंत् पर रहम कर

सूर्य को भी अपनी रोशनी

सब जीव -जितु ,मानुष और पेड़- पौधे

कड़करती ठंड से कांप रहे हैं।

धरती पर फैलाने दे

तु सब पर रहम कर

अपने बिछौने पर घुसे हुए हैं।

धरती नदी नाले और तालाब

सभी सफेद चादर ओढ कर

हवा भी शीतलहर से मन मुग्ध है

धरती और गगन भी शीत से ना दिखाई दे रहा है।

सूर्य की किरणें भी थोड़ी ही देर आती है।

चादर के अंदर घुसे हुए हैं.

फिर जल्दी चली जाती है।

सर्दी तू इतना ना इठला,

सर्दी तू इतना ना इतरा.

ठंड से पानी भी बर्फ बनी हुई है।

अंदर बाहर सब जगह जमी हुई है.

खाना-पीना नहाना -धोना सब दुभर हो गया

बस गरम-गरम ,खाना -पीना

दिन भर आग तापना हो रहा है।

जल्द ही जल्द अब तू चली जा

सर्दी अब तू चली जा

इतना न इठला, इतना ना इतरा

रचनाकार- वसुंधरा कुरे

ठंड

Poem On Winter Season In Hindi

ठंड की हुई शुरुआत,

ऑंधी चली, हुई बरसात,

थर-थर काँपे बंदर महाराज,

गर्म कपड़े नहीं थे पास.

पेड़ से लगाई आवाज़,

बिल्ली मौसी! दे दो कुछ आज.

लाऊँगा कल रजाई-गिलाफ,

इस बार मुझे करना माफ

बिल्ली बोली आकर पास

नहीं तुम्हें कोई शर्म-लिहाज़.

क्यों नहीं दिमाग लगाते,

ठंड से पहले कपड़े लाते.

पड़ जाओगे जब बीमार

कौन रखेगा तुम्हारा ख्याल?

मौसम बदलते कई बार.

रखना होगा अपना ध्यान.

जल्दी से बाज़ार तुम जाओ,

रजाई, स्वेटर, मोजे लाओ,

ठंड से खुद को बचाओ.

रचनाकार- दलजीत कौर

ठंडी मौसम

Poem On Winter Season In Hindi

ठंडी का मौसम जब आये,

स्वेटर, मफ्लर सब को भाये.

भीनी-भीनी आग सुहाये,

ठंडी का मौसम जब आये.

एक जगह पर सभी इकट्ठे,

मिलकर लाते लकड़ी लठ्ठे।

बच्चे बूढ़े बैठे सारे,

आग तापते लगते प्यारे.

सरसर-सरसर चली हवायें,

तन-मन को ठंडी कर जाये.

धूप बड़ी लगती है प्यारी,

देह सेंकते नर अरु नारी.

शीत बूँद मोती बन आये,

बैठ धरा को वह हर्षाये,

धुँधली-सी बादल पर छाये,

जब-जब मौसम ठंडी आये.

रचनाकार- प्रिया देवांगन

देखो ठंडी आयी

Poem On Winter Season In Hindi

ठंड ना लग जाए कहीं देखो भाई,

रात को सोते समय ओढो तुम रजाई.

मौसम का राजा देखो, देखो आया भाई,

कितना प्यारा मौसम देखो, आया भाई.

रखना अपना तुम ख्याल ठंड से बचना भाई,

जिसको लग गई ठंड उसको नानी याद आयी

बगिया में देखो सुंदर सुंदर फूल खिले,

भौरे भी देखो फूलों से मिलने लगे हैं.

सूरज की तपन हमारे मन कितना को भाएं,

मिलजुलकर रहना ये हम सबको सिखलाएं.

किस्सा ना हो देखों हिस्सा का तुम कभी,

जो ज़िन्दगी मिली है उसकी तुम तारीफ करो,

रंग लाएगी तुम्हारी मेहनत भी एक दिन,

बस सच्चे मन से तुम अपना काम करो.

रचनाकार- अजय कुमार यादव

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