9+ गौरैया पक्षी पर कविता | Poem On Sparrow In Hindi

Poem On Sparrow In Hindi :- जनता में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से लगभग प्रतिदिन कोई न कोई दिवस मनाया जाता है. राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तर पर ही विभिन्न प्रकार के विशेष दिवस मनाए जाते हैं जिनका कोई न कोई मुख्य उद्देश्य होता है. 20 मार्च 2023 विश्व गौरैया दिवस के नाम से प्रतिवर्ष मनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य देश विदेश में गौरैया पक्षी के प्रति लोगों में जागरूकता उत्पन्न करना है. विश्व गौरैया दिवस जैसी सुखद पहल की शुरुआत नेचर फॉरएवर सोसायटी ऑफ इंडिया ने की थी जिसकी स्थापना भारतीय संरक्षणवादी मोहम्मद दिलावर जी द्वारा की गई थी.

इस विशेष दिवस का नाम गौरैया दिवस बेशक है, किंत इस दिवस को मनाए जाने के पीछे केवल गौरिया के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना नहीं है, अपित् हमारे वातावरण में रहने वाले अन्य पक्षियों के प्रति भी जोगरूकता लाना इस दिवस का विशेष उद्देश्य समझा जाता है. वैसे तो प्रत्येक दिवस विशेष ही होता है क्योंकि हर दिवस में अपनी कुछ विशेषता अवश्य होती है, परंत् औपचारिक रूप से मनाए जाने के उद्देश्य से दिवसों के नाम भी रख दिए गए हैं और तिथियाँ भी निर्धारित कर दी गई हैं ताकि बाकी दिनों के साथ-साथ उस विशेष दिवस पर उस विशेष दिवस को क्यों मनाया जाता है.

गौरैया  के बारे में लोग सोचे समझें. जानकारियाँ एकत्र करें और अपने जीवन में उस दिवस की महत्ता को उतारे,उसके अनुसार व्यवहार भी करें और अपने आसपास के लोगों को भी उस दिवस विशेष के बारे में बताएँ, उनका ज्ञान बढ़ाएँ और इस प्रकार के विशेष दिवसों के मनाए जाने के उद्देश्यों को सार्थक बनाने में अपना योगदान दें तभी इस प्रकार के दिवसों को मनाए जाने का औचित्य सार्थक सिद्ध होता है.

जैसा कि हम सभी अपने आसपास आजकल गौरया जैसे अनेक पक्षियों को अक्सर नहीं देख पाते हैं और यदि कभी हम उन्हें देखते भी हैं तो हमारे भीतर एक सुखद उत्मुकता और उमेग खुद-ब खुद पैदा हो जाती है. इसका कारण यही है कि जिन पक्षियों को हम सालों पहले अपने आसपास चहचहाते हुए,उड़ते हुए और स्वतंत्रता पूर्वक पेड़ों पर घोंसले बनाते हुए देख सकते थे,वही पक्षी हमें आजकल ढँढ़ने पड़ते हैं और गनीमत तब है जब ढूँढने के बाद भी हमें इक्का दुक्का कोई पक्षी नज़र आ जाए, अ्यथा पक्षियों की तादाद दिन-ब-दिन कम ही होती जा रही है.

गौरैया की दुर्दशा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है क्योंकि गौरया विलुप्त होने के कगार पर है. इस दिवस का उद्देश्य पक्षियों के प्रति लोगों की सहान्भूति में वद्धि करना भी है ताकि लोगों के दिलों में पक्षियों के प्रति प्रेम भाव उमडे और वे उनकी देखभाल और रक्षा कें और उनकी देखभाल के लिए जो बन पड़े वह सब कें. यह पक्षी हमसे ज्यादा कुछ नहीं चाहते. वे केवल दिन भर में थोड़ा बहत खाने के लिए गेहँ के दाने, थोड़ा सा पीने का पानी, हमारा स्नेह और बस फिर वे आराम से खुले आकाश में उड़ते फिरते हैं.

उनकी न किसी से दश्मनी होती है और न ही वे किसी के बारे में कुछ खराब सोचते हैं क्योंकि वे हम मनुष्यों की भाँति मन में शत्रुता का भाव नहीं रखते हैं. पहली बार वर्ष 2010 में मनाए गए इस विश्व गौरैया दिवस पर हम सभी को प्रण लेना चाहिए कि हम विलुप्त होने से पहले इनका संरक्षण करेंगे और जिस प्रकार बचपन में हम इनकी चहचहाहट सुनकर आनंदित होते थे वही आनंद हम अपने आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी संरक्षित करेंगे. पक्षियों के प्रति खुद के साथ-साथ अपने बच्चों में भी संवेदनशीलता उत्पन्न करना हमारा मानवीय कर्तव्य है.

प्रकृति के प्रति प्रम उत्पन्न करने के लिए हमें अपने बच्चों के भीतर जीव जंतुओं के प्रति प्रेम उत्पन्न करना ही होगा उन्हें समझाना होगा कि प्रकृति है तो हम हैं और इन जीव-जंतुओं का जीवन भी उतना ही कीमती एवं महत्वपूर्ण है जितना कि मनुष्यों का, अगर पश पक्षियों, जीव जंतुओं का हमारे जीवन में कोई महत्व ही नहीं होता तो ईश्वर ने मनुष्यों के अलावा किसी और जीव को सुष्टि में उत्पन ही न किया होता परंतु दखद यह है कि विश्व भर में आज गौरया ढूँढने से भी नहीं नजर आती.

दिल्ली सरकार ने तो इनकी दूर्लभता को देखते हुए वर्ष 2012 में ही इसे राज्य पक्षी घोषित कर दिया था. यह सोचकर बहुत दुख होता है कि जिन पक्षियों को अपने आसपास देखकर हम बड़े हुए हैं उन्हीं पक्षियों को देखने दिखाने के लिए हमें अपने बच्चों को चिड़ियाधर ले जाना पड़ता है,चिड़ियाधर में भी तो अब ये गिनती में ही पाई जाती है. गौरैया के इस प्रकार लगभग विलुप्त हो जाने के पीछे अनेक कारण हैं.

इस प्रकार दिनोंदिन जंगल कटते जा रहे हैं. पेड़ पौधों में रासायनिक पदार्थों का उपयोग भी बढ़ता जा रहा है और जल का स्तर गिरता जा रहा है .इन सब का दुष्प्रभाव हमारे पशु पक्षियों पर भी तो पड़ता है, क्योंकि ऐसा होने से पक्षियों की रहने और खाने की समस्याएं बढने लगती हैं. परंतु कहा जाता है न कि जब जागो तभी सवेरा अर्थात यदि अभी भी हम मनुष्य इस प्रकार की समस्याओं को लेकर संवेदनशील और जागरूक नहीं हुए तो वह दिन दूर नहीं जब गौरैया और इस प्रकार के अन्य पक्षी इतिहास के प्राणी मात्र बनकर रह जाएँगे और हम हाथ मलते रह जाएँगे.

प्रकृति के संतुलन के लिए अत्यंत जरूरी है कि मनुष्य के साथ-साथ पशु पक्षी और जीव जंतु भी जीवित रहें. तो आइए, आज विश्व गौरैया दिवस के इस अवसर पर हम सभी मिलकर प्रण लें कि हम अपने आसपास के जीव जंतु, पशु पक्षियों और प्राकृतिक संपदा का पूरा ध्यान रखेंगे, देखभाल करेंगे और इसके संरक्षण में भी अपना हर संभव योगदान करेंगे।

Poem On Sparrow In Hindi

गौरैया

Poem On Sparrow In Hindi

मुंडेर पर आती नहीं गौरैया आजकल.

छत पर बिखरे दाने खाती नहीं गौरैया आजकल,

घर – आंगन में पहले फुदकर्ती-चहकती रहती थी,

पास में कहीं अब मंडराती नहीं गौरया आजकल.

चूं- चूं की आवाज उसकी बड़ी मोहक लगती थी,

लोगों को अब क्यों सुहाती नहीं गौरैया आजकल.

संग – संग हम बचपन में खेला करते थे,

मन को अब बहलाती नहीं गौरैया आजकल.

घर के किसी कोने में घर अपना बना लेती थी,

एक तिनका भी अब लाती नहीं गौरया आजकल.

इंसानों का निवाला न बन जाए इस भय से,

गांव – शहर तक आती नहीं गौरैया आजकल.

-चेतन सिंह

गौरेया

Poem On Sparrow In Hindi

नन्ही गौरेया कहाँ चली.

उड़ती फिरती हो गली गली.

मैरे आँगन में आओ ना.

इधर उधर मत जाओ ना.

भूख लगी तो मुझे बताओ.

पीयो पानी दाना खाओ.

चिड़िया रानी आओ ना.

चीं चीं चीं चीं गाओ ना.

-अनिता चन्द्रवाकर

गौरेया
रचनाकार- चेतन सिंह

मुंडेर पर आती नहीं.
गौरेया आजकल.
छत पर बिखरे दाने
खाती नहीं गौरैया आजकल.
घर – आंगन में पहले फुदकती-चहकती रहती थी,
पास में कहीं अब मंडराती नहीं गौरैया आजकल.
चूं- चूं की आवाज उसकी बड़ी मोहक लगती थी,
लोगों को अब क्यों सुहाती नहीं गौरैया आजकल.
संग – संग हम बचपन में खेला करते थे,
मन को अब बहलाती नहीं गौरिया आजकल.
घर के किसी कोने में घर अपना बना लेती थी,
एक तिनका भी अब लाती नहीं गौरैया आजकल,
इंसानों का निवाला न बन जाए इस भय से,
गांव – शहर तक आती नहीं गौरैया आजकल.

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