Poem On Sardar Vallabhbhai Patel In Hindi :- अपने राष्ट्र,मानव कल्याण, मानवता की मिसाल बनने वाले अनेक व्यक्तित्वच का जन्म हुआ है. जनता के हुृदय में विशेष स्थान बनाना कोई आसान काम नहीं है, क्योंकि उसके लिए पूरा जीवन समर्पित करना होता है और बिना फल की चाहत के सेवा करनी होती है. भले ही उनका शरीर नहीं रहता परंत् उनकी याद पीढ़ी दर पीढ़ी जगमगाती रहती है. भारत में ऐसे अनेक महान व्यक्तित्व हैं. 31 अक्टूबर 2022 को लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 147 वीं जयंती है, जिसे एकता दिवस के रूप में भी मनाते हैं. भारत को आजाद कराने और उसके बाद पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने में लौह पुरुष ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
भारत सरकार ने सरदार पटेल जयंती को एकता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है जिसमें अनेक राज्यों द्वारा कार्यक्रमों के अलावा 31 अक्टूबर 2022 को सुबह 7 से 8 तक रन फॉर यूनिटी कार्यक्रम आयोजित किया गया है। जिसमें विद्यालय प्रधानाचार्य प्रधानाध्यापक या वरिष्ठ अध्यापक, विद्यार्थी जो लौह पुरुष के राष्ट्रीय एकता में उनकी भुमिका भी बताई जाएगी, एकता दौड़ में विद्यार्थियों के माता-पिता व स्थानीय समुदाय को शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया गया है.
दूसरी ओर अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों और उनके संबद्ध कॉलेजों और संस्थानों से 25 से 31 अक्टूबर 2022 तक लौह पुरुष के जीवन पर एक विशेष प्रदर्शनी आयोजित करने का आग्रह किया है. साथ ही ये भी आग्रह किया गया है कि संभव हो तो ये प्रदर्शनी क्षत्रीय भाषाओं में अयोजित की जाए, लौह पुरुष के जीवन और योगदान का जश्न मनाने के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद ने संयुक्त रूप से सरदार पटेल -द आर्किटेक्ट ऑफ यूनिफिकेशन का अआयोजन किया, यह प्रदर्शनी महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थानों जैसे बैंकों, डाकघरों, सरकारी भवनों, शैकषणिक संस्थानों और कई अन्य स्थानों पर प्रदर्शित की जाएगी. पत्र में यह भी कहा गया है कि 25 से 31 अक्टूबर तक चलने वाले कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा योजना और नेहरू युवाकेंद्र के स्वयंसेवकों की सक्रिय हिस्सेदारी से साइकिल और मोटरसाइकिल रैलियाँ भी आयोजित की जा सकती हैं,
इसके साथ ही उच्च शिक्षण संस्थानों एवं कालेजों में लौह पुरुष पर विशेष सत्र, वाद-विवाद, क्विज और अन्य प्रतिस्यर्थाओं का आयोजन भी किया जा सकता है. रन फॉर यूनिटी के लिए एक माइक्रोसाइट तैयार की गई है और एकता दौड़ में हिस्सा लेने वाले सेल्फी लेकर इस पर अपलोड कर सकते हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री के विशेष अभियान पदक-2022 की घोषणा करेगा. इसे लेकर इस सप्ताह की शुरुआत में गृह मंत्रालय के पुलिस डिवीजन- 1 ने एक आंतरिक आदेश भी जारी किया था.
ये पदक पुलिस सेवा में बेहतर कार्य और उत्कृष्टता को बढावा देने और तनावपूर्ण स्थितियों तथा कठिन इलाकों में अच्छा काम करने वालों को दिया जाता है. 31 अक्तुबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के मौके पर बड़े पैमाने पर देश भर में रन फॉर यूनिटी’ कार्यक्रम मनाया जाएगा. हम लौह पुरुष के हितकारी कार्यों और उनकी जीवनी देखें तो सरदार बल्लभ भाई पटेल ने देश हित में कई लोक हितकारी कार्य किए थे जिनका शब्दों में बयान करना सरल नहीं है, लेकिन फिर भी हम लौह पुरुष के द्वारा देश हित में किए कार्य की चर्चां करेंगे
उनका सबसे महत्वपूर्ण काम देश का एकीकरण करना था जैसा कि हम लोग जानते हैं कि जब देश 1947 में आजाद हुआ तो देश में सभी रियासतें अलग अलग थी और कई रियासतें भारत में मिलने के लिए राजी भी नहीं हो रही थी इसकी सबसे प्रमुख वजह थी कि उनमें से अधिकांश मुस्लिम रियायत पाकिस्तान में सम्मिलित होना चाहती थी क्योंकि अंग्रेजों ने जब भारत का बंटवारा किया तो उन्होंने कहा कि जो रियासत भारत के साथ रहना चाहती हैं वह भारत के साथ जा सकती हैं और जिन्हें पाकिस्तान जाना है वह पाकिस्तान जा सकती हैं.
ऐसे में भारत के हैदराबाद के निजाम ने पाकिस्तान जाने का फैसला किया और साथ में जूनागढ़ के नवाब ने भी. लेकिन लौह पुरुष ने अपनी राजनीतिक सूझबूझ और कुटनीति का इस्तेमाल करते हुए दोनों रियासतों को भारत में विलय करने के लिए मजबूर किया और हैदराबाद और जूनागढ़ को पाकिस्तान में सम्मिलित होने से रोका 1 इसके अलावा कश्मीर में जिस प्रकार पाकिस्तान कब्जा करना चाहता था 1 उसे रोकने का काम भी सरदार बल्लभ भाई पटेल ने किया था नहीं तो आज कश्मीर पाकिस्तान के अंदर सम्मिलित होता। सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ. लंदन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढाई की और वापस आकर अहमदाबाद में बकालत करने लगे,
महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया. स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल का पहला और बड़ा योगदान 1918 में खेडा संघर्ष में था. उन्होंने 1928 में हुए बारदोली सत्याग्रह में किसान आंदोलन का सफल नेतृत्व भी किया, बारदोली सत्याग्रह आंदोलन के सफल होने के बाद वहाँ की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को सरदार की उपाधि प्रदान की थी, किसी भी देश का आधार उसकी एकता और अखंडता में निहित होता है और सरदार पटेल देश की एकता के सुत्रधार थे. इसी वजह से उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है. लौह पुरुष का निधन 15 दिसंबर, 1950 को मुंबई में हुआ था. सन 1991 में सरदार पटेल को मरणोपरान्त “भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था.
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देशी रियासतों का एकीकरण कर अखंड भारत के निम्माण में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता. उन्होंने 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण किया. महात्मा गांधी ने सरदार पटेल को लौह पुरुष की उपाधि दी थी. गुजरात में नर्मदा के सरदार सरोवर बांध के सामने सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर (597 फीट) ऊंची लौह प्रतिमा (स्टैचू ऑफ यूनिटी) का निर्माण किया गया है. यह विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है. इसे 31 अक्टूबर 2018 को देश को समर्पित किया गया, स्टेचू ऑफ लिबर्टी की ऊंचाई केवल 93 मीटर है.
उपरोक्त पूरे विवरण का अध्यन कर उसका विश्लेषण करने पर हम पाएँगे कि लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 147 वीं जयंती एकता दिवस पर विशेष है. भारत को आजादी मिलने के बाद लौह पुरुष ने पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. भारत की खुशहाली में अपना जीवन समर्पित करने वालों की देशभक्ति शिक्षा और मूल्यों को सम्मान प्रदान करने सभी नागरिकों की सक्रिय हिस्सेदारी ज़रूरी है,