Poem On Diwali In Hindi :- दीपावली दीपों का त्योहार है. दीप हमारे तन मन में नई आशा का संचार करते हैं. जलते हुए दीपक हमारे मनमें यह विश्वास उत्पन्न करते हैं कि उम्मीद कभी हारा नहीं करती और अंधकार के बाद प्रकाश अवश्य आता है अर्थात जीवन में हार कर नहीं बैठना चाहिए क्योंकि हार के बाद जीत निश्चित है. यह प्रकृति का नियम है, असफलता शब्द में ही सफलता छपी हुई है इस बात को हमें भूलना नहीं चाहिए और अपने सार्थक प्रयासों द्वारा सदैव मुश्किलों पर विजय पाने का सतत प्रयास करना चाहिए, जलते हुए दीये इस बात का द्योतक हैं कि जिस प्रकार एक दिया जल कर अपने आसपास प्रकाश फैलाता है और अंधकार का नाश करता है; उसी प्रकार हमें भी अपने आसपास के वातावरण में सकारात्मक तरंगों को फैलाना चाहिए और नकारात्मकता को दूर रखना चाहिए.
इस प्रकार की मानसिकता जब पूर समाज में व्याप्त होगी तभी हमारा समाज और धीरे-धीरे सारा विश्व उन्नति की राह पर अग्रसर होगा, उसकी राह में रोड़े बिछाने वाली नकारात्मक शक्तियाँ स्वतः समाप्त होने लगेंगी, तो क्यों न इस दिवाली हम सभी मिलकर अपने मन के अंधकार को मिटाने का प्रयास करें और मन में आशाओं के दीप जलाएँ, अपने मन की कलृषता को खत्म करें दसरों के प्रति हमारे मन में जो भी दर्भाव किसी वजह से समा गया है उसे हमेशा हमेशा के लिए दूर कर आपसी सौहार्द को बढ़ावा दें और संबंधों की अहमियत को समझते हुए एक दूसरे के साथ प्यार प्रेम से रिश्तों को बनाकर रखें.
स्मरण रहे,व्यक्ति समाज की सबसे छोटी इकाई है और व्यकत्ति जब अपने सभी संबंधों और रिश्तों को मजबूत बनाने लगता है तभी एक मजबूत, समर्थ और सशक्त समाज का निर्माण भी होने लगता है स्वस्थ,समर्थ,सशक्त नागरिक ही एक मजबूत राष्ट्र को विकसित राष्ट्र बनाते हैं.
वैसे तो किसी भी अच्छे काम की शुरुआत किसी भी दिन से की जा सकती है, किंतु, दीवाली से सुंदर अवसर दूसरा कोई नहीं हो सकता जब हम अपने आप को बदलने का अपने आप से वादा कें और अपने भीतर की गंदगी को, अज्ञान रूपी अंधेरे को दूर करने के प्रयास करें आपसी मतभेद और मनमुटाव अक्सर लोगों के बीच हो जाते हैं क्योंकि हम एक सभ्य समाज में रहते हैं और एक सभ्य समाज में बुद्विजीवी वर्ग के बीच विचारों का मतभेद हो सकता है किंत् जब यह मतभेद तर्क वितर्क की श्रेणी से आगे बढकर कुतर्क और मनभेद में परिवर्तित होने लगता है। तो समाज का हास होने लगता है, समाज का विकास अवरुद्ध होने लगता है और प्रगति के सारे दरवाजे खुद-ब-खुद इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न न होने पाए, इसलिए इस दीवाली हम सभी को मिलकर प्रण लेना होगा, शपथ लेनी होगी कि हम अपने मन से वे सभी नकारात्मक भाव और प्रबृत्तियां निकाल कर सदा सदा के लिए बाहर फेंक देंगे
जो किसी भी प्रकार से हमारे और हमारे समाज के लिए घातक हैं, हमारे विकास को अवरुद्ध करने वाली हैं और हमें एक दूसरे से जोड़ने की बजाय तोड़ने का कार्य करती हैं. तो आइए, आज हम सभी मिलकर दीपावली के इस पावन पर्व को और भी अधिक सुंदर तरीके से मनाते हैं और सर्वप्रथम अपने आपसे प्रामिस करते हैं कि हम अपने संबंधों में सदैव ईमानदारी बरतते हुए समाज के सभी लोगों के उत्थान के लिए दिल से यत्न करेंगे, मुफलिसो और मजलूमों पर दया भाव रखेंगे तथा ऐसा कोई कार्य नहीं करेंगे
जिससे दूसरों को परेशानी हो.साथ ही अपने मन से जाति, धर्म,संप्रदाय और अन्य किसी भी प्रकार की दुश्मनी का भाव, ईष्या,द्वेष, घुणा सदा सदा के लिए बाहर कर देंगे और अपने मन में सभी के लिए प्रेम की ज्योत जलाएंगे जिसकी रोशनी से न केवल हमारा जीवन प्रकाशमान होगा अपितु, उस प्रकाश में पूरा विश्व आगे बढ़ने के मार्ग ढूंढेगा और मानवीयता एक बार पुनः जीवंत हो उठेगी. उस सूरत में समाज में कोई भी व्यक्ति स्वयं को समाज से कटा हुआ महसूस नहीं करेगा और सभी नागरिक आपसी प्रेमभाव और मेल मिलाप से रहते हुए जीवन यात्रा का आनंद लेंगे. सही मायने में इस प्रकार की दिवाली ही हमारे जीवन के सभी प्रकार के अंधकार को दूर कर पाएगी.
प्रकाश पर्व दीपावली की बधाईयां
Poem On Diwali In Hindi
प्रकाश पर्व दीपावली की बधाई,
पारंपरिक हर्षोल्लास लेकर आई,
राष्ट्रपति प्रधानमंत्री ने दी सबको बधाई,
समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी घर-घर आई.
दीवाली के दिन चौदह वर्ष वनवास बाद,
मां सीता प्रभु राम और लक्ष्मण संग अयोध्या आई,
इसी कारण अयोध्या में सबने दीपमाला सजाई,
ब्राई पर अच्छाई का प्रतीक यह त्यौहार.
श्रीराम के जीवन के महान आदर्शों को लाई,
श्री राम हमारी संस्कृति में सत्य धर्म साहस,
करुणा आज्ञाकारी सत्य का सार लाए,
मर्यादा पुरुषोत्तम में आदर्श राजा.
आज्ञाकारी पुत्र अपराजेय योद्धा समाए,
दुआ है हमारी आप ख़ुश रहें,
लक्ष्मी मां सब पर अपनी कुपया बरसाए,
सबके जीवन को अधिक संपन्न बनाने,
नया उत्साह खुशियों की बारिश लेकर आए.
-किशन सनमुखदास भावनानी
दीवाली आई
Poem On Diwali In Hindi
गाँव – शहर दीप जले
दीवाली आई.
घर – घर उजियाले की
जगर-मगर छाई.
नाच रही चकरी
अनार चले सुरे.
फूटते पटाखे
राकेट उड़े फुर.
रोशनी की चम-चम
छूटे फुलझड़ियाँ.
बिजली के बल्यों की
दमक रहीं लड़ियाँ.
स्वागत, शुभकामना
सबको बधाई
दिखती चहुँओर खुशी
बट रही मिठाई।
-गौरीशंकर वैश्य विनम्र
दीपावली आई
Poem On Diwali In Hindi
दीप जल उठे दीपावली आई
कण-कण में उजियारा छाई,
घर-आंगन में रौनकता समायी
रंग रंगीली मन को अति भायी.
घर आंगन सुहाने लगते हैं।
सब के मन को भा जाते हैं,
बच्चे मौज-मस्तियाँ करते हैं
खूब हंसते और मुस्कुराते है.
बच्चे प्यारे-प्यारे लगते हैं
ये बड़े न्यारे-न्यारे लगते हैं,
चमकीले कपड़े पहनते हैं।
बच्चे खुशियाँ खूब मनाते हैं.
बच्चे फुलझड़ियाँ जलाते हैं।
ये आँगन में फूल खिलाते हैं,
बच्चे खुब मिठाईयां खाते हैं
और खुशियां खूब मनाते हैं।
धूप-दीप से थालियां सजाते हैं।
माँ लक्ष्मी की आरतियाँ करते हैं,
बतासे मिठाई से भोग लगाते हैं।
सुख-शांति का आशीष पाते हैं.
-अशोक पटेल
दीपों का त्यौहार
Poem On Diwali In Hindi
दीप जले हैं घर आँगन में
दीपों का त्यौहार है आया.
जगमग-जगमग घर आँगन
सबके मन खुशियँ समाया.
नए-नए कपड़े पहनकर
बच्चों का मन इतराया.
देख पटाखें, फुलझड़ियाँ
बच्चों का मन हर्षाया.
खिल,बताशे, रसगुल्ले से
मुनिया का मन ललचाया.
दूर खड़े सोनू-मोनू भी
देख मिठाई दौड़े आए.
देख रहा हामीद दीवाली
उसके मन को भी भाया.
धूमधाम से मिलकर सबने
दीपावली त्यौहार मनाया,
-महेन्द्र साहू,
दीप
Poem On Diwali In Hindi
कभी न तम से हारे दीप.
फैलाते उजियारे दीप.
घर कर देते आलोकित
जल आँगन – चौबारे दीप.
दीवाली में भू पर ज्यों
आए उतर सितारे दीप.
डर प्रतिकूल हवाओं का
कांप रहें बेचारे दीप.
अपनाएँ सहकार भावना
लगा रहे हैं नारे दीप.
स्नेह और बाती के संग
जीवन – मूल्य सँवारे दीप,
रत है राष्ट्र – साधना में
रूप तपस्वी धारे दीप.
-गौरीशंकर वैश्य विनम्र
दिवाली
Poem On Diwali In Hindi
हम बच्चों को भाता बहुत,
दीपों का त्योहार निराला।
मन को भी करती है रोशन,
ये प्यारी सी दीपों की माला।
माँ लक्ष्मी के आशीर्वाद से,
मिलती हैं खुशियां अपार।
नए कपड़े पहनकर बच्चे,
ये दीप-त्योहार मनाते हैं।
गले-मिलकर एक दूजे से,
हलवा-मिठाई खाते हैं।
गली-गली में होती रौनक,
रोशन होते हैं सब बाज़ार।
हर मन को भाती है बहुत,
गलियां ये रोशनी वाली।
भारत की संस्कृति अनुपम,
अनुपम है ये त्योहार दिवाली।
-डॉ. अलका जैन
आई दिवाली
Poem On Diwali In Hindi
जगमग जगमग दीप जले आई दिवाली।
रात अमावस की लगे पूनम सी उजाली।
आओ बांटे खूब मिठाई खिल बताशे,
धड़ा-घड़ फोड़े खूब बम पटाखे,
माँ लक्ष्मी की आरती कैसे गुंजाई है।
बीत गया सो बीत गया भूला दो,
दिपावली से फिर नया दीप जला दो,
मिटा दो मन से बैरभाव की काली
हृदय द्वार पर प्रीत के दीप जलाओ,
मिलन का पर्व दिवाली मिलकर मनाओ,
खुशियों से रहे ना कोई मन खाली।
-अखिलेश जोशी