13+ देशभक्ति पर सुंदर कविता | Poem On Desh Bhakti In Hindi

Poem On Desh Bhakti In Hindi :- देश भक्ति एक ऐसा भाव है, जो हमें अपने देश के लिए प्रेम और विश्वास के साथ बल देता है। हमारे देश का स्वतंत्रता लेकर हमें अपने देश की रक्षा की जरूरत होती है। देश भक्ति एक व्यक्ति के जीवन में अहम भूमिका निभाती है। यह हमें अपने देश और उसके विकास के लिए कठिनाईयों के सामने भी सफलता प्राप्त करने के लिए सहयोग करने की तैयारी करती है। देश भक्ति हमें अपने देश के हर व्यक्ति, धरोहर, और पर्यावरण को समृद्धि और उन्नयन के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित करती है। देश भक्ति हमें हमारे देश की अनुशासन, समाज, और विचारों के प्रति सम्बन्धित होने के लिए ज़रूरी करती है। हमें हमारे देश के समाज और व्यक्तियों के समृद्धि के लिए अपनी मदद करने का प्रयास करना चाहिए।

देश भक्ति हमें हमारे देश की रक्षा के लिए तैयारी करने के लिए प्रेरित करती है। हमें अपने देश के ख़तरों से बचाव के लिए सहयोग करना चाहिए। देश भक्ति हमें अपने देश के लिए अपने समय, श्रम, और धन की देन के लिए तैयारी करने के लिए प्रेरित करती है। देश भक्ति हमें हमारे देश के वर्तमान और भविष्य के लिए सहयोगी होने के लिए प्रेरित करती है। हमें अपने देश के विकास के लिए अपनी योगदान करना चाहिए। हमें अपने देश के विकास के लिए अपने समय, श्रम, और धन की देन के लिए तैयारी करनी चाहिए। देश भक्ति हमें अपने देश की परम्पराओं, संस्कृति, और भाषा के प्रति प्रेम के लिए प्रेरित करती है। हमें अपने देश के संस्कृति और परम्पराओं को बचाव के लिए अपनी मदद करनी चाहिए।

 

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आज़ादी के बलिदानी

Poem On Desh Bhakti In Hindi

 

शहीदों के बलिदान से, हमको मिली है आज़ादी.

मेरे वतन के रखवाले, हंसते -हंसते चढ़ गए फांसी.

देश की खातिर मर मिटे, सिवान में सैनिक हैं डे.

देश ही देश में क्यों बटे, भाई से भाई क्यों है लड़े.

 

जय जवान जय हिंद नारा, वदे मातरम पुकार उठेगी,

शहीदों के बलिदान से, हमको मिली है आज़ादी.

मेरे वतन के रखवाले, हंसते-हंसते चढ़ गए फासी.

शपथ अपनी याद करना, मां की लाज बचाना है.

 

लेकर तिरंगा हारथों में, अपने फर्ज को निभाना है.

ममता बेबस बैठी घर में, सिन्दूर और चूड़ी है डर में.

जीत के आना तुम रण में, हार न जाना एक क्षण में.

गर लौटे ना मेरे लाल, याद रखना उसकी कुर्बानी.

 

शहीदों के बलिदान से, हमको मिली है आज़ादी.

मेरे वतन के रखवाले, हंसते-हंसते चढ़ गए फांसी.

सिने में खाकर गोलियां, जब आयेगा तू गलियों में.

देश प्रेमी सलाम करेंगे, चढ़ गए हंसते शूलियों में.

 

गर्व करेंगे भारत वासी, चारों तरफ छाई है उदासी.

युगों-युगों तक रहे नामी, वस्धा के रक्षक अनुगामी,

श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे, सब हिंद वीरों के समाधि,

शहीदों के बलिदान से, हमको मिली है आजादी.

मेरे वतन के रखवाले, हंसते-हंसते चढ़ गए फांसी,

रचनाकार- अशोक कुमार यादव

 

शहीद की व्यथा

Poem On Desh Bhakti In Hindi

 

सपनें सब परिवार के छोड़,

देश पर शहीद हुआ जवान.

माँ मान के भारत भूमि को,

कर दिया उसने सब कुबन.

 

माता की हो गई कोख सुनी.

राखी का भी नही रहा मान,

भाई-भाई के प्यार को तरसे,

खाली रह गया सिंदूर दान.

 

बाप के ऑँसू अब सूख गये,

पत्थर दिल बन गया बेजान.

गुड़िया रोते-रोते हुए बोली,

पापा मिलने गए हैं भगवान.

 

गाँव-घर-आंगन सुना हो गया,

बेटा जब छोड़ चले जहान,

करके सब अब याद उसे पफिर,

कहते,बेटा था ये बड़ा महान.

 

लिपट के आया जब घर में,

तिरंगा बढ़ा रहा था जब शान.

सबने खुद से खुद को बोला,

बेटा हो गया माँ के लिए कुबान.

रचनाकार- सोमेश देवांगन

 

खुशियों का त्यौहार

Poem On Desh Bhakti In Hindi

 

पूरे भारत देश में, आया है त्यौहार.

मिलकर सारे बाँटते, आपस में सब प्यार.

आपस में सब, प्यार बाँट कर, गले लगाते.

देत बधाई, इक दूजे को, मन हर्षति.

 

रैली सारे, बिन बच्चों के, रहे अधुर.

उड़े तिरंगा, खुशी मनाये, भारत पूरे.

वीरों को करते नमन, और झूकाते मारथ.

सीना ताने जो खड़े, रख बंदूर्के साथ,

 

रख बंदूके, साथ हमेशा, वचन निभाते.

आँख उठा कर, देखे दश्मन, मार गिराते.

जान गँवाते, माटी पर

शीश नवाते वीरों को,

 

रखे सुरक्षा,जो हमारी

नमन है उन हीरों को,

रचनाकार- प्रिया देवांगन “प्रियू”

 

मेरा तिरंगा

Poem On Desh Bhakti In Hindi

 

तीन रंग का है बना,पाए तिरंगा नाम,

वो केसरिया रंग दे, त्याग और बलिदान.

संकट जब आये हमें, मर मिटना बतलाए,

सबके मन में हर्ष भर, लक्ष्य प्राप्ति सिखलाए.

 

सत्य अंहिसा धर्म का, चक्र चले दिन रात.

श्वेत रंग समझा रहा, सच्चाईई की बात.

सादा जीवन में रहे, तन-मन उच्च्च विचार.

शांति अमन से सब मिले, वो शिक्षा संस्कार.

 

हरे रंग की पट्टी कहे, हरित धरा की शान.

रहे उर्वरा यह सदा, खुशहाली दे जान.

हरियाली धानी प्रकृति, मनोहारिणी भव्य.

हिन्द राष्ट्र-ध्वज ये कहे, सदा शक्ति दे दिव्य.

 

श्वेत-पट्टिका मध्य में, शोभित चक्र अशोक,

चौबीस तीलियाँ सदा, दिवस-निशाआलोक.

मनोभाव दूग तृप्त हो, नभ ध्वनि गुंजे ओम,

गहरा नीला पावनी, दिशा-दिशा कर व्योम.

रचनाकार- सुशीला साहू

 

हिंदुस्तान की आवाज़

Poem On Desh Bhakti In Hindi

 

अनेकता में एकता ही हमारी शान है,

तिरंगे के तीन रंग हमारी आन बान और शान है.

करते हैं यह प्रण इस देश के लिए, दुनिया का सबसे प्यारा देश बनाएंगे.

भारत के हर भारतवासी को, आजादी के गीत हम सुनाएंगे.

 

हम लहराएंगे हर जगह यह तिरंगा,

हिंदुस्तान की आवाज़ हर जगह पहुंचाएंगे.

शहीदों की कुर्बानी को व्यर्थ ना जाने देंगे,

भारत मां के आंचल को सुंदर हम सजाएंगे.

 

तिरंगा लहराएंगे अब हम नीले नीले आसमान में,

हिंदुस्तान की आवाज हर जगह पहुंचाएंगे.

देंगे सलामी हिंद्स्तान के तिरंगे को,

आजादी के गीत हम सुनाएंगे

आजादी के गीत हम सुनाएंगे.

रचनाकार- श्रीमती विभा सोनी

 

आओ मिलकर उन्हें करें नमन

Poem On Desh Bhakti In Hindi

 

आओ मिलकर उन्हें करें नमन

जिनके लिए सब कुछ है वतन,

देश की रक्षा के लिए जिन्होंने

निछावर कर दिया तन और मन.

 

घर से दूर वतन के लिए लड़ते

मुश्किलों से लड़कर आगे बढ़ते.

देकर दुश्मनों को जंग में मात

भारत माँ की हिफाजत करते.

 

आओ मिलकर उन्हें करें नमन

जिनके लिए सब कुछ है वतन.

सरहद में दुश्मन से टक्कर लेते

तिरंगे को कभी झकने न देते.

 

ठंडी,गर्मी और बरसात को सहते

ईट का जवाब, पत्थर से देते.

दुश्मनों की गोली सीने में खाकर

अपने वतन को महफूज रखते हैं.

 

आओ मिलकर उन्हें कें नमन

जो देश के लिए कुछ करते हैं

रचनाकार- प्रीतम कुमार साहू

 

भारत देश की आजादी

Poem On Desh Bhakti In Hindi

 

गुलामी की बेड़ियों में जकड़ी थी भारत मां,

अपने महावीर लाल से लगा रही थी गुहार,

पराधीन बनकर खो दी मैंने अपनी अस्मिता,

कोई तो सुन लो अपने जननी की पुकार..

 

मां की करुणा देख उठ खड़े हुए भारतवासी,

जो जन थे पहले बेबस, मायूस और लाचार.

शंखनाद करके बिगुल बजा दिए संग्राम की,

नहीं सहेंगे राक्षस रूपी अंग्रेजों के अत्याचार,

 

कृषिक्षेत्र में काम करते किसान हल लेकर दौड़े,

फावड़ा ले-लेकर निकले श्रम करते हुए मजदूर,

तोप और बंदूक लेकर घेर लिए रक्षक तीनों सेना,

उतर गए मैदान में नेता राजनीति सीख भरपूर,

 

सुन गोरे तुम्हारी गोलियों ने हमारे खून को पिया,

अभी भी हमारे तन में है तुम्हारे कोड़ों के निशान.

हम लोग जुल्म को सहकार बन गए हैं फौलादी,

भारत माता की कसम मिटा देंगे तुम्हारी पहचान,

 

एक गोरे ने कहा, मरे हुए दिल अब जिंदा हो गए,

मर रहे हैं हमारे लोग, अब छोड़ चलो सब प्रभुता.

लौटा देते हैं भारतीयों को उनकी जननी जन्मभूमि,

कहीं हम गुलाम ना बन जाएं दो उनको स्वतंत्रता.

रचनाकार- अशोक कमार यादव

 

तिरंगा

Poem On Desh Bhakti In Hindi

 

दश्मनों का हिमाकत कहां,

जो भारत सीमा में आ जायेंगे

गोलियों से सीना उनके,

छलनी छलनी हो जाएंगे.

 

सरहद पर जो ब्री नजर डालेंगे,

सैनिक उनको सबक सिखाएंे.

तिरंगा अभिमान से लहराया है,

आन, बान, शान से फहराएंगे.

 

कुर्बानी लाखों लोगों ने दी है.

तब जाकर आजादी मिली है

ऐसे ही व्यर्थ ना जाने देंगे,

दुश्मनों की आंखें नोच डालेंगे.

 

अंग्रेजों के करतूतों को कभी ना भूल पाएंगे,

अपनों को लड़ाया था फिर ना दोहराएंगे.

तिरंगा अभिमान से लहराया है,

आन, बान, शान से फहराएंगे.

 

जाति, मजहब पर लड़ने वालों को,

राष्ट्रधर्म मानवता का पाठ पढाएंगे.

स्वदेशी स्वरोजगार अपनाकर,

फिर से सोने की चिड़िया बनायें,

 

सबसे प्यारा संविधान हमारा,

उसे तन-मन से अपनाएंगे.

तिरंगा अभिमान से लहराया है,

आन, बान, शान से फहराएंगे.

 

नक्सल, आतंकवाद को जड़ से मिटाएंगे,

आओ संकल्प लें अखंड भारत बनाएंगे.

जन-जन में राष्ट्रप्ेम का भाव जगाएंगे,

विश्व में भारत का मान बढ़ाएगे.

 

तन में जब तक सांसे चलेगी,

राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम गाएंगे,

तिरंगा अभिमान से लहराया है,

आन, बान, शान से फहराएंगे.

रचनाकार- मनोज कुमार पाटनवार

 

 

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