Poem On Animal In Hindi :- पशु जीवन धारा का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। ये हमारे आस-पास के पर्यावरण में रहते हैं और हमें कई तरह की सेवाएं प्रदान करते हैं। भारत में विभिन्न प्रकार के पशु पाए जाते हैं जैसे कि गाय, भेड़, बकरी, घोड़े, कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि। पशु जीवन धारा का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हुए भी, हम अक्सर उनसे ना तो सही सलामती से नहीं पेश आते हैं और न ही उनकी सेवाओं को गुणवत्तापूर्ण मानते हैं। यही कारण है कि हमारी प्रकृति अब बहुत खराब हो रही है।
गाय एक सबसे महत्वपूर्ण पशु है जो हमारी संस्कृति में भी बहुत महत्वपूर्ण रहा है। उनसे हम दूध तथा दही जैसी खाद्य पदार्थ प्राप्त करते हैं। भेड़ और बकरी भी हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उनसे हम गर्म और सुखी कमरे तथा ऊन की चीजें तैयार करते हैं। पशु जीवन धारा का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हुए भी, हम अक्सर उनसे ना तो सही सलामती से नहीं पेश आते हैं और न ही उनकी सेवाओं को गुणवत्तापूर्ण मानते हैं।
बंदर मामा हमें बताओ
Poem On Animal In Hindi
बन्दर मामा हमें बताओ,
तुम जंगल छोड़ के आये क्यों?
घर के छत, मुंडेर में आकर,
तोड़ फोड़ मचाये क्यों?
किचन में भी घुस आए,
मेरे सारे फल को खाये क्यों?
गमले के सारे पौधों को.
तोड़े और बिखराये क्यों?
लगे भगाने तुमको तो,
गुस्से में दांत दिखाए क्यों?
चिल्लाकर तुम जोर जोर से,
भारी दहशत फैलाए क्यों?
रचनाकार- जीवन चन्द्राकर
गधा
Poem On Animal In Hindi
मुझे पालते और पोसते,
फिर भी क्यों दिनरात कोसते।
बोझ खुशी से ढोता हूँ,
कभी न आपा खोता हूँ।
सहनशील – रंगीला हूँ
थोड़ा – बहुत हठीला हूँ।
मैं न शरारती से हारूँ
उसे दलत्ती झट मारूँ।
सीधेपन की मिले सजा
बुद्धिहीन ले रहे मजा
सदा करूँ मैं कार्य सधा
लोग कह रहे मुझे गधा
रचनाकार- गौरीशंकर वैश्य विनम्र
गाय
Poem On Animal In Hindi
देखो मुझको मैं हूँ गाय,
सारे जग की मैं हूँ माँ.
लाल सफेद काली चितकबरी,
कई रंगों की होती हूँ.
अन्न घास दाना भूसा खाती
जंगल चरने जाती हूँ.
मेरा दूध बड़ा गुणकारी
बच्चे बड़ों को हितकारी.
दही मही मक्खन घी बनते,
इनको खाकर सेहत बनती.
गोबर से तुम खाद बनाते,
और खेत में फसल उगाते.
बायोगैस बनाकर इससे,
बिजली इंधन रोज जलाओ.
हो जाओगे मालामाल,
हटे रोज का दुख जंजाल.
बछड़ा मेरा हल जोतेगा,
गाड़ी पर वह धन ढोएगा.
सारा जीवन देते रहना
दुख-सुख चुप होकर सहना.
मर जाने पर मैं तुमको,
दे जाऊँगी देर सामान,
जूते चप्पल बटन बना लो,
और लगा लो अपने काम,
देखो मुझको मैं हूँ गाय
सारे जग की मैं हूँ माँ
रचनाकार- श्रीमती क्वेता तिवारी
बंदर मामा का ड्रामा
Poem On Animal In Hindi
बन्दर मामा-बन्दर मामा,
पहन के कुर्ता और पाजामा.
धरे हैं, सर पे ये टोपी लाल,
छड़ी हाथ में, करे कमाल.
भांति-भांति करतब दिखाता,
दर्शक को सब, खूब हंसाता.
कभी ये बन जाता है नारी,
लीला करता प्यारी प्यारी.
बास का जैसे आर्डर पाता,
करने लगता है, हर ड्रामा.
बन्दर मामा-बंदर मामा.
रचनाकार- जीवन चन्द्राकर
मुर्गा
Poem On Animal In Hindi
रोज सुबह जब मुर्गा बोले,
मुन्ना तब ही आंखें खोले,
दूध रोटी से है भरी कटोरी,
खिलाती मां सुनाकर लोरी।
मुन्ना मुर्गा के पीछे भागे,
रोज सुबह जब वह जागे,
मुर्णा जब कूकडू कू बोले,
मुन्ना उसकी नकल उतारे।
लाल लाल मुर्गा की कलगी,
मुन्ना कलगी जब छूने जाता,
देख उसकी नादान शरारत,
मंद मंद मुस्काते हैं दादा जी।
लगाता जब है मुर्गा बांग,
कराता वह समय का भान,
जो सोता वह है खोता,
जो जगता वह सब है पाता।
रचनाकार- आशा उमेश पाण्डे
प्यारा घोड़ा
Poem On Animal In Hindi
हरी घास खाता है घोड़ा,
खाकर खूब तेज़ वो दौड़ा.
जब करता वो आनाकानी,
खाता है फिर घोड़ा कोड़ा.
रस्सी से जब उसको बाँधा,
मोटी रस्सी उसने तोड़ा.
जब जब आया मोड़ राह पे,
उसने खुद को झटपट मोड़ा.
खुशी जताता हिन हिन करके,
गुस्सा होता थोड़ा थोड़ा.
मुझे घुमाता ददूर दूर तक,
लगता मुझको प्यारा घोड़ा.
रचनाकार- महेंद्र कुमार वर्मा
कोयल गीत सुनाती है
Poem On Animal In Hindi
मेरे पास खिलौने हैं.
सारे खुब सलोने हैं.
चले कार फरटि से,
परी डर गई चांटे से.
भालू शहद बहुत खाता,
बदले में सेहत पाता,
बिल्ली दृध चुराती है,
अक्सर पिट के आती है.
कोयल गीत सुनाती है,
सबका मन बहलाती है.
रचनाकार- महेंद्र कुमार वर्मा
बन्दर का जुखाम
Poem On Animal In Hindi
बन्दर जी को हुआ जुखाम,
नाक हो गई उनकी जाम,
घर का नुस्खा लेकर मीत,
उनको मिला नहीं आराम
हाथी दादा ने सुझाया,
भालू डॉक्टरजी का नाम,
जब नर्स ने सुई लगाई
बन्दर जी का गया जुखाम.
रचनाकार- महेंद्र कुमार वर्मा
शेर
Poem On Animal In Hindi
शेर जंगल का राजा है,
खाता मांस ताजा है,
सिर पर है, उसके ताज,
करता है जंगल में राज,
शेर जब करता आवाज,
बंद हो जाते सबके काज.
रचनाकार- प्रियंका श्रीवास
मधुमक्खी
Poem On Animal In Hindi
मीठे-मीठे शहद सबको
देती है मधुमक्खी.
जीवन में शहद की मिठास
भर देती है मधुमक्खी.
जो कोई उसे छेड़ता
उसको डंक मारती मधुमक्खी.
अपने मधु के छत्ते की
रखवाली करती है मधुमक्खी.
तरह-तरह के फूलों के रस से
मधु बनाती रहती मधुमक्खी.
अपने छत्ते में उसको
जमा करती रहती मधुमक्खी.
ऊँचे-ऊँचे पेड़ों पर
अपना छत्ता बनाती मधुमक्खी
मधु से घर की कोठरी
भरती रहती है मधुमक्खी,
जीवन भर सबकी सेवा
करती रहती है मधुमक्खी.
दे कर शहद मुफ्त में सबको
खुश कर देती है मधुमक्खी.
रचनाकार- बद्री प्रसाद
इस बार हमें जीता दो
Poem On Animal In Hindi
बिल्ली बोली चूहों से
इस बार हमें जीता दो जी.
मुझको मेयर की कुर्सी पर
इस बार तुम सब बैठा दो जी.
करूँगा मैं तुम सब की सेवा
कभी न आफत ढाऊंगा..
तुम सब को नगर निगम में
नौकरी मैं दिलवाऊंगा.
दे कर अपना वोट सारी
भारी बहुमत से हमें जीताना.
इस बार नगर निगम का
तुम सब मुझे अध्यक्ष बनाना.
सुन बिल्ली की बात
चूहे सारे मिल कर बोले.
वोट नहीं पाएगी एक भी
चाहे झूठ कितना तू बोले,
सुन चूहों की बात
बिल्ली को खूब गुस्सा आया.
चूहों को पकड़ने के लिए
उन्हें जोर से दौड़ाया.
रचनाकार- बद्री प्रसाद वर्मा अनजान
कोयल
Poem On Animal In Hindi
श्याम सलोनी कोयल मैं, सबकी जानी-पहचानी।
सघन आम के कुंजों की, मैं कहलाती हूँ रानी।।
कितनी प्यारी लगती है, कू-हू, कू-हू की बोली।
ऐसी मीठी लगती है, जैसे मिसरी में घोली।।
फाग मनाने थरती पर, जब वसन्त ऋतु आती है।
बागों में मेरी टोली, स्वागत -गीत सुनाती है ।।
कौआ भी होता काला, मैं भी थोड़ी काली हूँ ।
पर कुछ हूँ सफेद भूरी, लगती बड़ी निराली हूँ।।
सभी पक्षियों में कौआ, अधिक चतुर कहलाता है।
लेकिन इस नादानी में, मुझसे धोखा खाता है।
सदा दूसरी चिड़ियों के, वह अण्डे चोरी करता।
कोई उनको उठा न ले, इससे रहता है डरता।।
उसके नीड़ समीप पहुँच, मैं उत्पात मचाती हूँ।
वह मेरा पीछा करता, उसको खूब छकाती हूँ।।
इसी बीच अपने अंडे, मैं उसके घर में देती।
उसकी चोरी चालाकी, का मैं बदला ले लेती।।
मेरे अण्डों को कौआ, अपना समझ करे पालन।
थोड़े ही दिन में अंडे, जाते प्यारी कोयल बन।।
उड़ कर नन्हें पंखों से पास हमारे आते हैं।
फुदक- फुदक अमराई में, मीठा राग सुनाते हैं।।
रामकुमार गुप्त
गिलहरी चिल्लाई
Poem On Animal In Hindi
भागो भाई भागो भाई,
गिलहरी पेड़ पर चिल्लाई।
भागे ना तो बह जाओगे,
हाथी सूंड़ उठा कर भागा।
गैंडा नाक बचा कर भागा
सोया जंगल का राजा शेर
जागा पूंछ दबाकर भागा
चूहे विल्ली सांप छछूंदर।
सब भाग गए शहर की ओर
है नदी जंगल में घुस आई
सियार लोमड़ी खरगोश हिरण
सब पहुंच गए पर्वत की छोर।
भैसे आपस में ही लड़ते
गदहे चींपो-चींपो करते
सभी फंस गए नदी के बीच
देख सके ना पानी बढ़ते।
तभी गगन में पड़ी दिखाई
टिटिहिरियों ने हांक लगाई
इन्हें बचाओ इन्हें बचाओ
डूब न जाएं यह सब भाई।
डॉ. एम.डी.सिंह
मेरे घर में श्यामा गैया
Poem On Animal In Hindi
ता ता थैया ता ता थैया
मेरे घर में ‘श्यामा गैया.
और एक छोटा सा बछड़ा-
उसको कहते सभी कन्हैया’.
सुबह घास चरने वह जाती
देर शाम तक वापस आती
बछड़ा उसको देख रंभाता
श्यामा उसको देख रैंभाती.
बछड़ा दौड़ा-दौड़ा आता
माँ के थन से मँह चिपकाता,
पोषक व स्वादिष्ट दृध पाता
अपनी सारी भूख मिटाता,
फिर किशना काका आते
आकर श्यामा को सहलाते.
दूध निकालें, उसके थन से
माँ पकाती, हम पी जाते.
रचनाकार- राजेंद्र श्रीवास्तव
खरगोश
Poem On Animal In Hindi
खरगोश चला मस्ती में,
पहुंच गया वो बस्ती में,
सभी देखने उसको लग गये,
जुम्मन जी के भाग जग गये.
जुम्मन ने सोची एक उपाय,
क्यो ना इसको पकड़ा जाय.
उसे पकड़ने दौड़ा जब जुम्मन,
खरगोश ने लिया धरती का चुम्बन.
धरती से बोला फिर खरगोश,
रख लो माँ मुझे अपने आगोश.
फिर कभी ना आऊंगा बस्ती में,
जंगल कभी ना छोड़गा मस्ती में.
जुम्मन के डर से खुब भागा,
थक गया वो बेचारा अभागा.
खरगोश सरपट जंगल की ओर भागा,
पहुंच गया जंगल उसकी किस्मत जागा.
रचनाकार– प्रमेशदीप मानिकपुरी
गिलहरी
रचनाकार- राजेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव
छत पर धूम मचाए गिलहरी.
यहाँ-वहाँ छिप जाए गिलहरी.
सुनेपन का लाभ उठाकर
आँगन में आ जाए गिलहरी.
कभी-कभी पेड़ों पर चढ़कर
कुतर-कुतर फल खाए गिलहरी.
दौड़-भाग से फुरसत पाकर
झबरी पूंछ हिलाए गिलहरी.
कभी दूर से, कभी पास से
मेरा मन बहलाए गिलहरी.