Bal Kavita In Hindi: – आज के पोस्ट में हम यहां पर बच्चों को मनपसंद कविता लेकर आया हूं। यह कविता सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है। जिससे उन्हें अपने घर कार्य में पढ़ने में सहुलियत भी मिल सकता है आइए बिना देरी किए इन कविताओं को पढ़े।
ठंड का मोसम
Bal Kavita In Hindi
देखो ठंड का मौसम आया हैं,
सुबह- सुबह कोहरा छाया हैं.
दादी मुझको सुबह उठाती है,
मीठी -मीठी धूप सुहाती है।
मम्मी -पापा टहलते रोज
पहने स्वेटर लगाते कनटोप.
सुबह -सुबह हम दौड़ लगाते
करते कसरत सेहत बनाते,
सूरज दादा मेरे घर आना
काँपते-काँपते नहीं नहाना.
सोनू मोनू और बिट्लो रानी
नहाते करके गरम पानी.
ताजे फल सब्जियाँ आती
ठंड में हमको खूब सुहाती.
-चन्द्रहास सिन्हा
गिनती
Bal Kavita In Hindi
आओ गिनती गिने एक
आसमान में तारे अनेक.
एक और एक दो होते हैं।
बच्चे माँ बिन रेोते हैं.
दो और एक होते तीन
साँप के आगे बजाते बीन.
तीन और एक होते चार
आम नीबू का बनाओं आचार,
चार और एक होते पाँच
मुनिया करती सुन्दर नाच.
पाँच और एक होते छ:
बोलो ओम शिवाय नमः.
छः और एक होते सात
करो नमस्ते मिलाओ हाथ.
सात और एक होते आठ
कविता सुनाओ पढ़ो पाठ,
आठ और एक होते नौ
उजाला करते दीये की लौ.
नौ और एक होते दस
यहीं तक पढ़ते गिनती बस.
-चन्द्रहास सिन्हा
हम बच्चे
Bal Kavita In Hindi
माना कि हम छोटे हैं,
पतले गबरु मोटे हैं.
सीधे सच्चे सादे हैं,
मगर बुलन्द इरादे हैं.
एक जिद्द सब पर भारी,
बातें भी मीठी – खारी.
सारे हमसे प्यार कें,
सुबह – शाम मनुहार करे.
हिचकी ले जब -जब रोते,
घंटा भर ना चुप होते.
दादी अम्मा नज़र उतारे,
मम्मी सहलाये-पुचकारे.
नानी को याद दिलाते नानी,
बचपन की दिलचस्प कहानी.
घर में जो भी आता है,
लपक हमें उठाता है.
घर – बाहर की शान हैं.
हम बच्चे बलवान हैं.
-नरेन्द्र सिंह
भारत देश की आजादी
Bal Kavita In Hindi
गुलामी की बेड़ियों में जकड़ी थी भारत मां,
अपने महावीर लाल से लगा रही थी गुहार,
पराधीन बनकर खो दी मैंने अपनी अस्मिता,
कोई तो सुन लो अपने जननी की पुकार..
मां की करुणा देख उठ खड़े हुए भारतवासी,
जो जन थे पहले बेबस, मायूस और लाचार.
शंखनाद करके बिगुल बजा दिए संग्राम की,
नहीं सहेंगे राक्षस रूपी अंग्रेजों के अत्याचार,
कृषिक्षेत्र में काम करते किसान हल लेकर दौड़े,
फावड़ा ले-लेकर निकले श्रम करते हुए मजदूर,
तोप और बंदूक लेकर घेर लिए रक्षक तीनों सेना,
उतर गए मैदान में नेता राजनीति सीख भरपूर,
सुन गोरे तुम्हारी गोलियों ने हमारे खून को पिया,
अभी भी हमारे तन में है तुम्हारे कोड़ों के निशान.
हम लोग जुल्म को सहकार बन गए हैं फौलादी,
भारत माता की कसम मिटा देंगे तुम्हारी पहचान,
एक गोरे ने कहा, मरे हुए दिल अब जिंदा हो गए,
मर रहे हैं हमारे लोग, अब छोड़ चलो सब प्रभुता.
लौटा देते हैं भारतीयों को उनकी जननी जन्मभूमि,
कहीं हम गुलाम ना बन जाएं दो उनको स्वतंत्रता.
-अशोक कमार
नादान बचपन
Bal Kavita In Hindi
ओ नादान बचपन भी कितना प्यारा था.
ओ नादान बचपन भी कितना प्यारा था.
ना कोई गम, ना कोई जवाबदारी,
हर पल एक नया बहाना था.
हर पल एक नया बहाना था.
ओ नादान बचपन भी कितना प्यारा था.
सुबह से शाम तक था मौजों का ठिकाना
सुबह से शाम तक था मौजों का ठिकाना
बरसात के मौसम में पानी में भीगना
छपाक-छपाक गड़ढों में कूदना
गिरते पानी में बस्ता का छाता बनाना
ओ बचपन भी कितना प्यारा था.
ओ बचपन भी कितना प्यारा था.
कागज की कश्ती थी पानी का किनारा था
खेलने की मस्ती थी और कुछ नहीं सुझती थी.
स्कूल से भागने का बहाना
हो गया पूरा गीला आज मुझे
है जाना ऐसा तरह-तरह के बहाना.
दोस्तों के ऊपर कीचड़ छीटकाना,
लड़ना भी तो कीचड़ से लथपथ होकर
खेलना भी तो किचड़ में ही था
कितना मना करे न मानना था
ओ नादान बचपन भी कितना प्यारा था.
ओ नादान बचपन कितना प्यारा था.
-वसुंधरा कुरें
खेलें खेल
Bal Kavita In Hindi
करें पढ़ाई, खेलें खेल.
रखें साथियों के सँग मेल.
पढ़ना-लिखना बहुत जरूरी
ज्ञान – बुद्धि को खूब बढ़ाएँ
समूचित शारीरिक विकास हित
खेलों में भी रुचि दश्शाएँ
बंद रहेंगे यदि कमरे में
तो घर लगने लगेगी जेल.
विद्यालय से वापस आकर
कहीं पार्क में दौड़ें – भागें
‘आओ खेलें’ ध्यय मान लें
तज आलस्य, नींद से जागें
हुष्-पुष्ट बलशाली बनकर
रोगों की हम कसें नकेल.
खेलों के भी बनें सितारे
अनुशासन- अभ्यास के बलपर
मिल सकती है बड़ी सफलता
जीत पास आएगी चलकर
नाम कमाएँ देश – विश्व में
घोर निराशा परे ढकेल.
करें पढ़ाई, खेलें खेल,
-गौरीशंकर वैश्य
छोटी बाल कविताएं
Bal Kavita In Hindi
चूहिया की शादी में
शहर की सभी बिल्लियाँ आई.
खा कर खाना जहर मिला
सबने अपनी जान गंवाई,
बंदर बोला मैं भी
सेना में भर्ती होने जाऊंगा.
बंदूक राईफल बम का गोला
देश्मन पर चलाऊंगा,
बगुला मामा रोज नदी पर
मछली खाने आते.
पकड़ चोंच से मछली को
हजम त्रंत कर जाते.
भालू चाचा ने पेड पर
देखा मधुमक्खी का छत्ता.
मधु को जैसे हाथ लगाया
भागे छोड़ कर कोलकता,
पेड़ पर बैठ कर गिलहरी
पके आम रोज खाती.
तोता मैना जो भी आता
उसे मार कर दूर भगाती.
बंदरिया को पकड़ कर
ले गया एक मदारी.
नचा नचा कर उसको
चमकाया अपनी दुकानदारी.
-बद्री प्रसाद वर्मा
सूरज दादो आओ ना
Bal Kavita In Hindi
सूरज दादा, सूरज दादा,
जल्दी से तुम आओ ना.
बहुत बढ़ा हैं जाड़ा अब तो,
इसको दूर भगाओ ना.
गाय, बैल अरु कुत्ता,
बिल्ली, ठंडी में वो भी रोते.
थर-थर-थर-थर कांपे सारे,
नहीं रात में वो सोते.
लुका-छुपी का खेल खत्म कर,
अब आगे तुम आओ ना.
बहुत बढ़ा है जाड़ा अब तो,
इसको दर भगाओ ना.
आग तापते हम तो सारे,
घर अंदर घुस जाते हैं,
स्वेटर, मफलर, साल ओढ कर,
गर्म हवा भी पाते हैं.
कुत्ता, बिल्ली सहमे बैठे,
जाये कहाँ बताओ ना.
बहुत बढ़ी है जाड़ा अब तो,
इसको दूर भगाओ ना.
बेजुबान ये जीव जन्तु सब,
ठंडी में मर जाते हैं.
किसे बताये अपनी हालत,
रातों को चिल्लाते हैं.
देखो हालत इनकी दादा,
थोड़ा तरस दिखाओ ना.
बहुत बढ़ा है जाड़ा अब तो,
इसको दूर भगाओ ना.
-प्रिया देवांगन