Poem On Farmer In Hindi :- किसान देश की आत्मा होते हैं। भारत में अधिकांश लोग कृषि से जुड़े हुए हैं और इसलिए किसानों का दर्जा बेहद महत्वपूर्ण होता है। किसान समृद्ध भारत की नींव होते हैं और उन्हें सम्मान देना चाहिए। किसानों का काम खेती है और यह खेती सबसे ज्यादा मुश्किल और समय लेने वाला काम होता है। वे धूप-छाँव तथा बौखलाहट भरे मौसम में खेत में काम करते हैं।
वे तन-मन और धन खपत करते हुए फसल उत्पादन करते हैं। भारत में किसानों की समस्याएं कई हैं। उनकी सबसे बड़ी समस्या में से एक पूंजीपति होते हुए भी वे निर्धन होते जा रहे हैं। उन्हें सही मूल्य नहीं मिलता और वे अच्छी बिक्री नहीं कर पाते हैं। इसके अलावा उन्हें अप्रचलित कृषि तकनीक के कारण भी कई मुश्किलें उठानी पड़ती हैं। इन समस्याओं के बावजूद, हमें किसानों का सम्मान करना चाहिए।
किसान
Poem On Farmer In Hindi
मैं धरती का अन्नदाता हूं.
मैं धान फसल उगाता हैं.
मैं ही किसान कहलाता हूँ.
मैं अपना धर्म निभाता हूँ.
मैं माटी पुत्र कहलाता हूँ.
मैं ही तो पसीना बहाता हूँ.
मैं जग का ध्यान रखता हू.
मैं सबको अन्न खिलाता हूँ.
मैं स्वयं भुखा रह जाता हूँं
मैं धानी हरियाली लाता हूँ.
मैं धरती का श्रृंगार करता हूँ
मैं ही फैसले लहलहाता हूँ.
मैं पहिली भोर की किरण में,
मैं सबसे पहले जग जाता हूँ.
मैं बैलों को साथ में ले जाकर,
मैं ही खेतों में हल चलाता हूँ.
मैं धरती का मान बढाता हूँ.
मैं श्रम की पूजा करता हूँ.
मैं पसीने से ऋण चुकाता हैूँ.
मैं ही तेरा लाल कहाता हूँ.
-अशोक पटेल
किसान
Poem On Farmer In Hindi
उम्मीद भरे जीवन मे, मेरे देश के होते किसान,
खून पसीना बहाकर, उगाते सोनहा धान.
करते खेतो मे मेहनत, होता दिन -रात काम.
फल सब्जियाँ और अनाज, कृषि प्रधान देश का नाम.
निभाते किसान की भूमिका, होता श्रेष्ठ व्यक्ति.
है निर्भर खेती बाड़ी में, समर्पित होता किसान की शक्ति.
भरता पेट लोगो का, करके फसल की रखवाली.
वजह जिससे फसल अच्छी, बनकर फसलों की माली.
बनता योजना किसानों की, रहता किसान कर्जदार.
उगता -ड्बता ऋरण से, न होता योजना असरदार.
मिल जाता जरूर राहत, देता अनाज बाजार मे.
मिलता दाम न उचित, नाम रहता कर्जदार मे.
बाट जोहते किसान, मानसून के खेल मे.
गिर जाने से दाम फसल के, सारा करतब बह जाते तेल में.
न उगाये फसल किसान, बढ़ जायेगी भुखमरी की तान.
चलता आशाओ की राह पर, होता धरती का भगवान.
समझे न कोई नीचा, दे देता है अपनी जान,
समझना भी गलत है, अन्नदाता का हो सम्मान,
मानसून के उम्मीद भरे किरण से, बीज सोने सा है डालता.
भरी उथल -पथल राहो से, किसान सबका पेट पालता.
-राधेश्याम सिंह बैस
में किसान है
Poem On Farmer In Hindi
मैं किसान हूं,
प्रतिदिन करता हूं मैं काम,
सुबह से लेकर शाम,
मेरे जीवन में कहाँ है, आराम।
मैं किसान हूँ,
दुपहरी तपती जेठ में,
करता हूँ खेतो की सफाई,
पापी पेट का सवाल है भाई.
मैं किसान हूँ,
सफाई, जुताई, बुवाई, निदाई,
कटाई, मिजाई सब करता हूं,
दिन रात मेहनत मैं करता हूँ,
तब जाकर, परिवार का पेट भरता हूँ,
मैं किसान हूँ,
सुविधा नहीं है मेरे पास,
गर्मी हो, चाहे बरसात,
ठिठुरती ठंड को भी देता हूँ मात.
मैं किसान हूँ,
जिम्मेदारी है, मेरे कंधो पर,
कोई भूखा ना सोए,
क्या हुआ, भूख से मेरे बच्चे रोए.
मैं किसान हूँ,.
मैं अन्न उगाता हूँ,
तब जाकर दो पैसे कमाता हूँ.
मै खुद भूखा रहता हूँ पर
करोड़ों लोगों के भोजन का इंतजाम कर पाता हूँ,
मैं किसान हैं.
मेरे पास तो हल है,
कहां मेरे भाग्य में महल है,
मैं किसान हूँ,
जो आराम करते हैं,
वो शान से महलों में रहते है.
मैं किसान हूँ,
कोई तो सुन ले मेरा,
मेरे जीवन मे न रहे अंधेरा,
मिले मुझे उचित सम्मान,
तभी होगा मेरा भारत महान,
मैं किसान हूँ,
मैं नारा बनकर न रह जाऊ,
जय जवान जय किसान,
बढ़ता रहे उनका मान,
रचनाकार- श्रीमती मंजू साहू
किसान
Poem On Farmer In Hindi
मैं धरती का अन्नदाता हूँ,
मैं धान फसल उगाता हूँ.
मैं ही किसान कहलाता हूँ.
मैं अपना धर्म निभाता हूँ.
मैं माटी पुत्र कहलाता हूँ.
मैं ही तो पसीना बहाता हूँ.
मैं जग का ध्यान रखता हूँ.
मैं सबको अन्न खिलाता हूँ.
मैं स्वयं भूखा रह जाता हु
मैं धानी हरियाली लाता हूँ,
मैं धरती का श्रृंगार करता हूँ
मैं ही फैसले लहलहाता हूँ,
मैं पहिली भोर की किरण में,
मैं सबसे पहले जग जाता हूँ.
मैं बैलों को साथ में ले जाकर,
मैं ही खेतों में हल चलाता हूँ,
मैं धरती का मान बढाता हूँ.
मैं श्रम की पूजा करता हूँ.
मैं पसीने से ऋण चुकाता हूँ,
मैं ही तेरा लाल कहाता हूँ,
रचनाकार- अशोक पटेल “आशु”
किसान
Poem On Farmer In Hindi
उम्मीद भरे जीवन में, मेरे देश के होते किसान.
खुन पसीना बहाकर, उगाते सोनहा धान.
करते खेतो मे मेहनत, होता दिन -रात काम.
फल सब्जियाँ और अनाज, कृष प्रधान देश का नाम.
निभाते किसान की भूमिका, होता श्रेष्ठ व्यक्ति,
है निर्भर खेती बाड़ी में, समर्पित होता किसान की शक्ति.
भरता पेट लोगो का, करके फसल की रखवाली.
वजह जिससे फसल अच्छी, बनकर फसलों की माली.,
बनता योजना किसानों की, रहता किसान कर्जदार.
उगता -डूबता कण से, न होता योजना असरदार.
मिल जाता जरूर राहत, देता अनाज बाजार मे.
मिलता दाम न उचित, नाम रहता कर्जदार मे.
बाट जोहते किसान, मानसुन के खेल में.
गिर जाने से दाम फसल के, सारा करतब बह जाते तेल में.
न उगाये फसल किसान, बढ़ जायेगी भुखमरी की तान.
चलता आशाओ की राह पर, होता धरती का भगवान.
समझे न कोई नीचा, दे देता है अपनी जान.
समझना भी गलत है, अन्नदाता का हो सम्मान,
मानसून के उम्मीद भरे किरण से, बीज सोने सा है डालता.
भरी उथल -पुथल राहो से, किसान सबका पेट पालता.
रचनाकार- राधेश्याम सिंह बैस
किसान
Poem On Farmer In Hindi
बड़े बिहान ले उठ के जाथे,
खाँध मा धर के नागर.
पहिन ओढ के कमरा ख़मरी,
ओहा खपाथे जाँगर.
लहू पसीना दिन रात बोहाथे,
काम हरे पुजा ओकर,
सब्बो दिन हा एके बरोबर.
का जाड़ अउ का गर्मी,
बादर बरसय कड़के बिजली,
करथे काम किसान.
जे कमाथे दुनिया बर,
मिलय नई संगी ओला मान,
मुड़ भर करजा बोड़ी लदागे,
चिंता मा बदन सूखागे.
का करय किसान बिचारा,
रोवत रोवत दिन पहागे,
रचनाकार अनिता चन्द्राकर