नारी शक्ति पर सुंदर कविता | Hindi Poems On Nari Shakti

Hindi Poems On Nari Shakti :- महिला सशक्तिकरण तभी सार्थक है जब महिलाओं को अपने निर्णय लेने की स्वतंत्रता हो. उनके लिए क्या सही और क्या गलत है., यह तय करने का उन्हें परा अधिकार हो. महिलाओं को दरशकों से पीडित होना पड़ा है, उनके पास कोई अधिकार नहीं थे और अब भी बहुत सी जगहों, गाँव, यहाँ तक कि बहुत से शहर और देशो में भी नहीं है! महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया गया और अब भी किया जा रहा है. अपने अधिकारों के साथ-साथ महिलाओं को सिखाया गया कि वे अपने जीवन के सभी पहलुओं में आत्मनिर्भर कैसे हों.

परुषों के पास हमेशा से सभी अधिकार होते थे. हालाँकि, महिलाओं को इनमें से कोई भी अधिकार नहीं था, यहाँ तक कि मतदान का अधिकार भी महिलाओं को नहीं दिया जाता था. अब चीर्जे बदल गई हैं. महिलाओं ने महसूस किया कि उन्हें भी समान अधिकारों की आवश्यकता है.

यह बदलाव अपने अधिकारों की माँग करने वाली महिलाओं द्वारा लाया गया. दुनिया भर के देशों ने खुद को “प्रगतिशील देश” कहा, लेकिन उनमें से हर एक का महिलाओं के प्रति गलत व्यवहार करने का इतिहास है. इन देशों में महिलाओं को आजादी और समान दर्जा हासिल करने के लिए उन प्रणालियों के खिलाफ लड़ना पड़ा, जो उन्होंने आज हासिल किया हैं. हालाँकि, भारत में, महिला सशक्तिकरण अभी भी पिछड़ रहा है. अब भी जागरूकता की बहत अधिक आवश्यकता है.

भारत उन देशों में से एक है जो महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है, इसके कई कारण हैं. उनकी सुरक्षा में कमी का एक कारण ऑनर किलिंग का खतरा भी है. महिलाओं के सामने एक और बड़ी समस्या यह है कि शिक्षा की कमी है. देश में उच्च्च शिक्षा हासिल करने के लिए महिलाओं को हतोत्साहित किया जाता है. इसके साथ ही उनकी शादी जल्दी हो जाती है. महिलाओं पर हावी पुरुषों को लगता है कि महिलाओं की भूमिका उनके लिए काम करने तक सीमित है. वे इन महिलाओं को कहीं जाने नहीं देते हैं, नीकरी नहीं करने देते हैं और इन महिलाओं को कोई स्वतंत्रता नहीं है.

महिला सशत्तीकरण लैंगिक समानता प्राম्त करने का एक महत्वपूर्ण पहलु है. इसमें एक महिला के आत्म-मूल्य, उसकी निर्णय लेने की शक्ति, अवसरों और संसाधनों तक उनकी पहँच, उसकी शक्त और घर के अंदर और बाहर अपने स्वयं के जीवन पर नियंत्रण और परिवर्तन को प्रभावित करने की उसकी क्षमता को बढ़ाना शामिल है. फिर भी लैंगिक मुद्दे केवल महिलाओं पर केंद्रित नहीं हैं, बल्कि समाज में पुरुषों और महिलाओं के बीच संबंधों पर भी हैं. पुरुरषों और लड़कों के कार्य और द्ष्टिकोण लैंगिक समानता प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. यदि महिलाएं घरेलू हिंसा और दुर्व्यवहार से गुजर रही हैं, तो वे इसकी सूचना किसी को नहीं देती हैं.

भारत एक ऐसा देश है जिसमें महिला सशक्तिकरण का अभाव है. देश में बाल विवाह का प्रचलन है. माता-पिता को अपनी बेटियों को यह सिखाना चाहिए कि अगर वे अपमानजनक रिश्ते में हैं, तो उन्हें घर आना चाहिए. इससे, महिलाओं को लगेगा कि उन्हें अपने माता-पिता का समर्थन प्राप्त है और वे घरेलू हिंसा से बाहर निकल सकती हैं. महिलाओं को उन क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए कि वे अपने सभी लक्ष्यों और आकांक्षाओं को प्राप्त कर सकें जो वो करना चाहती है.

 

Hindi Poems On Nari Shakti

 

नारी

Hindi Poems On Nari Shakti

 

घुट-घुट कर जीना छोड़ दे तृ,

रूख हवा का अब मोड़ दे तू,

आंसु बहाना अब छोड़ दे तू,

हासिल कर एक नया मुकाम,

 

पत्थर भी फूल बन जायेंगे,

कोशिश करना सीख ले तू.

घुट-घुट कर जीना छोड़ दें तू.

रुख हवा का अब मोड़ दे तू,

 

अपने आपको आग मे झोंक दें तू,

जीवन की भागदौड़ से न हार मान तू,

संकट आए तो नई राह बना तू,

दर्द मिले तो मुस्कराना सीख ले तू,

 

स्वाभिमान से जीना सीख ले तू,

चिड़ियों की भांति चहकना सीख ले तू,

घुट-घुट कर जीना छोड़ दें तू.

रूख हवा का अब मोड़ दे तू,

 

पिंजरे में रहना अब छोड़ दें तू.

आसमां में उडना सीख ले तू,

एक नया अब इतिहास बना तु,

कामयाबी के निशान छोड़ दें तू,

 

चल अपने रास्ते अब खुद बना तू,

अब तो शिक्षा से वंचित न रह तू.

घुट-घुट कर जीना छोड़ दें तु,

रुख हवा का अब, मोड़ दे तू,

 

उमंगों की लहरों पे भर ऊंची उड़ान,

किसी के रोके न रुक अब तू

किस्मत की लकीरे खुद बना तू.

इक दिन ये जहां भी तेरा होगा,

 

अपनी पहचान बनाना सीख ले तू.

संकटो से जुझना अब सीख ले तू.

घुट-घुट कर जीना छोड़ दें तू.

रुख हवा का अब मोड़ दे तू.

 

अम्ि परीक्षा देना छोड़ दें तू,

आत्मसम्मान से जीना सीख ले त.

ख़ुद के लिए भी जीना सीख ले तु,

ये जीवन है इससे हार न मान तू,

 

आशा की एक नई किरण बना तू.

घुट-घुट कर जीना छोड़ दे तू,

रूख हवा का अब मोड़ दे तू.

-कुमारी गुड़िया

 

उठ स्त्री तुझे जागना होगा

Hindi Poems On Nari Shakti

 

तू शक्ति तू भक्ति, तू मुक्ति,

तू जननी इस सूृष्टि की.

तुझसे ही अस्तित्व जग का,

सत्य यह स्वीकारना होगा.

 

उठ स्त्री! तुझे जागना होगा.

कभी वात्सल्य की देविका,

कभी प्रियवर की प्रेमिका.

नहीं तू घर की निःशुल्क सेविका,

 

अमिट यह मूल्य समझाना होगा.

उठ स्री! तुझे जागना होगा.

पिता की पराई तनया तू,

पराये घर से आई भायों तू.

 

दो सदन सींचती; तेरा गेह कौन?

प्रश्न यह सुलझाना होगा.

उठ सत्री! तुईे जागना होगा.

गौर वर्ण, कुशोदरी तन,

 

हो कृष्ण रंग या स्थूल काया.

नहीं हैं तेरे अस्तित्व की छाया,

विदेह अंगीकार स्वीकारना होगा.

उठ! तुझे जागना होगा.

 

हो अम्बर की तुंगता,

या उदधि की गहनता.

माप लेती तू; है अपार क्षमता,

सामथ्थ्य यह पहचानना होगा.

 

उठ स्त्री! तुझे जागना होगा..

गुहिणी बन रोटी को दे आकार गोल,

तत्वज्ञानी बन व्योम रहस्य दिए खोल,

है बल तुझमें अपार, अबला नहीं है तू.

 

छद्यभास ये मिटाना होगा.

उठ त्री! तुझे जागना होगा.

नहीं निपट चार दिवारी की शोभिता,

है तुझमें उन्मुक्त उडने की योग्यता,

 

पितृ समाज की बेड़िया तोड़,

स्वछंद परचम लहराना होगा.

उठ स्री! तुझे जागना होगा.

कभी नवरात्र में देवी रूप पूज़ी जाती,

 

कभी शोषण अमिनि में फँकी जाती.

द्वंद्र इस अकिंचन अर्चनीय के पार जा,

समानता का दर्जा पाना होगा.

उठ स्त्री! तुझे जागना होगा.

-समीक्षा गायकवाड़

 

मेरा अस्तित्व

Hindi Poems On Nari Shakti

 

मैं नारी हूँ, नारीत्व मेरा अस्तित्व है,

मैं मां हूँ. ममत्व ही मेरा अस्तित्व है.

मैं बेटी हूँ,स्वाभिमान मेरा अस्तित्व है,

पर इनसे परे भी मेरा स्वतंत्र अस्तित्व है.

 

मैं बहन हूँ., सौहाद्र मेरा अस्तित्व है,

मैं पत्नी हूँ, सहधर्मिता मेरा अस्तित्व है.

मैं बहु हूँ, मर्यादा मेरा अस्तित्व है,

पर इनसे परे भी मेरा स्वतंत्र अस्तित्व है.

 

मैं शिक्षिका हूँ, शिक्षण मेरा अस्तित्व है,

मैं वैद्य हूँ सेवा मेरा अस्तित्व है.

मैं लेखिका हँ,रचनात्मकता मेरा अस्तित्व है.

पर इनसे परे भी मेरा स्वतंत्र अस्तित्व है.

 

मैं भक्त हूँ, भक्ति मेरा अस्तित्व है,

मैं शक्ति हूँ, सामर्थ मेरा अस्तित्व है.

मैं लक्ष्मी हूँ, ऐ्वर्व मेरा अस्तित्व है,

पर इनसे परे भी मेरा स्वतंत्र अस्तित्व है.

 

मैं एकता हूँ, बंधुत्व मेरा अस्तित्व है,

मैं मुक्ति हूँ. विरक्ति मेरा अस्तित्व है.

मैं युक्ति हूँ बुद्धि मेरा अस्तित्व है,

पर इनसे परे भी मेरा स्वतंत्र अस्तित्व है.

 

मैं नेत्र हूं, दर्शन मेरा अस्तित्व है,

मैं ध्वनि हू.एकाग्रता मेरा अस्तित्व है.

मैं सफलता हूँ. प्रयास मेरा अस्तित्व है,

पर इनसे परे भी मेरा स्वतंत्र अस्तित्व है.

 

मैं जो भी हँ, मेरा स्वतंत्र अस्तित्व है,

मेरा अपना सुख है, अपना दुःख है

मेरे आपने सपने है, स्वतंत्र भावनाएं हैं,

मत भूलो मुझसे भी तेरा अस्तित्व है.

 

चैन से मुझे भी जीने दो ये समाज,

मैं भी उस ईश्वर की स्वतंत्र रचना हूँ,

मेरा भी अपना स्वतंत्र अस्तित्व है.

-लोकेश्वरी कश्यप

 

श्रमजीवी नारी

Hindi Poems On Nari Shakti

 

मिट्टी से सनी, मिट्टी की बनी,

मिट्टी अपने सिर पे उठाए.

सैकड़ों ग़म, लाखों तकलीफें,

अपने नाज़क दिल में दबाए.

 

मेहनत से बच्चों को पालती,

चेहरे पर मुस्कान सजाए,

धन्य है वह श्रमजीवी नारी,

घर का स्वाभिमान बढ़ाए,.

 

तन जर्जर पर, मन से चुस्त है,

सुकून है कि बच्चे तंदुर्स्त हैं,

शौहर पर वह बोझ नहीं है.

साहस दिल में भी एकमुश्त है.

 

नहीं किसी से भीख मांगती,

नहीं किसी के तलवे चांटती,

अपने दम पर दाम कमाकर,

नहीं किसी की थाल ताकरती.

 

भले ऐश की नहीं जिंदगी,

रोज पकाए, रोज खिलाए,

हार नहीं माने वो ख़ुद से,

चाहे कोई मुसीबत आए,

 

ख़ुदन पढ़ पाई फिर भी वह,

बच्चों को तालीम दिलाए,

धन्य है वह श्रमजीवी नारी,

घर का स्वाभिमान बढ़ाए.

-तुषार

 

conclusion :-

आज भी विश्व स्तर पर, महिलाओं के पास पुरुषों की तुलना में आर्थिक भागीदारी के कम अवसर हैं, बुनियादी और उच्च शिक्षा तक कम पहुँच, अधिक स्वास्थ्य और सुरक्षा जोखिम, और कम राजनीतिक प्रतिनिधित्व, महिलाओं के अधिकारों की गारंटी देना और उन्हें अपनी पूरी क्षमता तक पहुँचने का अवसर प्रदान करना न केवल लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि अंतराष्ट्रीय विकास लक्ष्यों की एक विस्तृत श्रुंखला को पूरा करने के लिए भी महत्वपूर्ण है. सशक्त महिलाएँ और लड़कियाँ अपने परिवार, समुदायों और देशों के स्वास्थ्य और उत्पादकता में योगदान करती हैं, जिससे सभी को लाभ होता है.

लिंग शब्द सामाजिक रूप से निर्मित भूमिकाओं और जिम्मेदारियों का वर्णन करता है जो समाज पुरुषों और महिलाओं के लिए उपयुक्त मानते हैं. लिंग समानता का अथ्थ है कि पुरुषों और महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता, शिक्षा और व्यक्तिगत विकास के लिए समान शक्ति और समान अवसर प्राप्त हैं. अब भी बहुत से विकासशील देशों में लगभग एक चौथाई लड़कियाँ स्कृल नहीं जाती हैं. आमतौर पर, सीमित साधनों वाले परिवार जो अपने सभी बच्चों के लिए स्कूल की फीस, वर्दी और आपर्ति जैसे खर्च नहीं कर सकते, वे अपने बेटों के लिए शिक्षा को प्राथमिकता देंगे.

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